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प्रदेश के एक दर्जन न्यायिक अधिकारियों पर गिरी गाज, हाई कोर्ट प्रशासन ने सख्‍त कार्रवाई का निर्णय लिया

इलाहाबाद हाई कोर्ट प्रशासन ने प्रदेश के 15 न्‍यायिक अधिकारियों के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई का निर्णय लिया है। एक जिला जज अवकाश ग्रहण करने कारण कार्यवाही से राहत पा गए। काफी समय से निलंबित चल रहे सुल्‍तानपुर के एडीजे को भी राहत प्रदान की गई है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 08:17 AM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 08:17 AM (IST)
प्रदेश के एक दर्जन न्यायिक अधिकारियों पर गिरी गाज, हाई कोर्ट प्रशासन ने सख्‍त कार्रवाई का निर्णय लिया
इलाहाबाद हाई कोर्ट प्रशासन ने 11 अधिकारियों को नियम 56 सी के तहत निष्प्रयोच्य आंका।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। उत्‍तर प्रदेश के विभिन्न जनपद न्यायालयों में पदासीन 11 अपर जनपद न्यायाधीश, दो जिला जज स्तर के और दो सीजेएम स्तर के सहित 15 न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ हाई कोर्ट प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। 10 को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। यह निर्णय बीते सप्ताह इलाहाबाद हाई कोर्ट और लखनऊ बेंच के न्यायाधीशों की फुलकोर्ट बैठक में लिया गया।

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11 अधिकारियों को नियम 56 सी के तहत निष्प्रयोच्य आंका गया

इनमें 11 अधिकारियों को नियम 56 सी के तहत निष्प्रयोच्य आंका गया। ये सभी अपने आचरण और व्यवहार से विभाग की छवि को भी प्रभावित कर रहे थे। इन अधिकारियों में जिला जज स्तर के मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल के एक पीठासीन अधिकारी के अलावा लखीमपुर, आगरा, कौशांबी, वाराणसी, हमीरपुर व उन्नाव में कार्यरत अपर जिला जज, मुरादाबाद व कानपुर नगर के सीजेएम स्तर के एक-एक अधिकारी, गोरखपुर की महिला अपर जिला जज को समय से पूर्व सेवानिवृत्त कर दिया गया है। हाईकोर्ट में कार्यरत एक रजिस्ट्रार को काम पूरा न हो पाने कारण स्कैनिंग कमेटी ने इन्हें भी उस सूची में शामिल किया था लेकिन उनके आचरण, व्यवहार और अच्छे न्यायिक अधिकारी होने की कारण उन्हें राहत प्रदान की गई है।

निलंबित चल रहे सुल्‍तानपुर के एडीजे को भी राहत

एक जिला जज अवकाश ग्रहण करने कारण कार्यवाही से राहत पा गए। काफी समय से निलंबित चल रहे सुल्‍तानपुर के एडीजे को भी राहत प्रदान की गई है। संविधान 235 अनुच्छेद में हाई कोर्ट को जिला न्यायालयों में कार्यरत न्यायिक अधिकारियों पर नियंत्रण रखने का अधिकार दिया गया है। यह कार्यवाही एक संकेत के रूप में है। इस संदर्भ में हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।


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