Allahabad High Court: दुष्कर्म में 15 साल कैद की सजा से अभियुक्त बरी, तमाम कमियां मिली कोर्ट को
हाई कोर्ट ने बांदा जिले के कमासिन थाना क्षेत्र में दुष्कर्म पास्को एक्ट और एससी/एसटी एक्ट के तहत 15 साल का कारावास और जुर्माने से दंडित अभियुक्त को बरी कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि सेशन कोर्ट ने साक्ष्य और तथ्यों का सही तरीके से विश्लेषण नहीं किया है।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बांदा जिले के कमासिन थाना क्षेत्र में दुष्कर्म, पास्को एक्ट और एससी/एसटी एक्ट के तहत 15 साल का कारावास और जुर्माने से दंडित अभियुक्त को बरी कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि सेशन कोर्ट ने साक्ष्य और तथ्यों का सही तरीके से विश्लेषण नहीं किया है। यह निर्णय न्यायमूर्ति समित गोपाल ने बांदा निवासी कृष्णकांत की अपील पर दिया है।
मेडिकल रिपोर्ट से पुष्टि नहीं और उम्र का भी कोई साक्ष्य नहीं
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अधीनस्थ अदालत ने उपलब्ध साक्ष्यों का सही से विश्लेषण नहीं किया। मेडिकल रिपोर्ट से दुष्कर्म की पुष्टि नहीं होती है। पीड़िता की आयु को लेकर भी कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। इसी प्रकार पीड़िता के अनुसूचित जाति का होने का भी कोई प्रमाण नहीं उपलब्ध कराया गया है।
जून 2013 में लिखाया गया था तमंचा दिखाकर मनमानी करने का केस
इस मामले के अनुसार अभियुक्त के खिलाफ नौ जून 2013 को बांदा जिले के कमासिन थाना में एफआइआर दर्ज कराई। आरोप लगाया गया कि अभियुक्त ने पीड़िता को तमंचा दिखाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बताया गया कि घटना 23 मई 2013 की है। पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल कराया जिसमें दुष्कर्म का कोई साक्ष्य नहीं मिला। इस पर पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी। पीड़िता की ओर से प्रोटेस्ट अर्जी दाखिल की गई।
अदालत ने प्रोटेस्ट अर्जी स्वीकार करते हुए मामले का ट्रायल शुरू किया। कृष्णकांत को 15 वर्ष कैद की सजा सुनाई। अब हाई कोर्ट ने साक्ष्यों को नाकाफी मानते हुए अभियुक्त के आऱोप से बरी कर दिया है।