सायमंड्स बल्लों से मशहूर हुए पुरुषोत्तमदास टंडन नहीं रहे, प्रयागराज के क्रिकेटरोंं ने जताया शोक
तीन दशक पहले क्रिकेटरों की पहली पसंद था सायमंड्स का बल्ला। यह बैट संगमनगरी में बनता था और इसके विशेषज्ञ थे पुरुषोत्तमदास टंडन (85)। सोमवार देर रात वह घर में ही चिरनिद्रा में लीन हो गए। पिछले कुछ दिनों से वह अस्वस्थ चल रहे थे।
प्रयागराज, जेएनएन। तीन दशक पहले क्रिकेटरों की पहली पसंद था सायमंड्स का बल्ला। यह बैट संगमनगरी में बनता था और इसके विशेषज्ञ थे पुरुषोत्तमदास टंडन (85)। सोमवार देर रात वह घर में ही चिरनिद्रा में लीन हो गए। पिछले कुछ दिनों से वह अस्वस्थ चल रहे थे। उनकी अंत्येष्टि मंगलवार दोपहर दारागंज घाट पर हुई। मुखाग्नि ज्येष्ठ पुत्र मदन ने दी।
बैट के हैंडल बनाने में हासिल की थी महारथ
गार्डन ग्रीनिज, डेसमंड हेंस, स्टीव वा जैसे नामचीन बल्लेबाज सायमंड्स बल्लों से मैदान में चारों तरफ शाट्स लगा कर गेंदबाजों का पसीना छुड़ा देते थे। भारतीय क्रिकेटरों की बात करें तो कृष्णामचारी श्रीकांत का पसंदीदा बल्ला था सायमंड्स। इसमें कई वैरायटी थी। नब्बे के दशक में ही इसकी कीमत सात सौ से लेकर 10 हजार रुपये थी। एएचव्हीलर कंपनी इसकी निर्माता थी। फैक्ट्री चौफटका पर थी। करीब 25 साल पहले फैक्ट्री बंद हो गई। जमुना क्रिश्चियन कॉलेज कटघर निवासी पुरुषोत्तम दास टंडन यहां बल्लों के विशेषज्ञ थे। निर्माता बनर्जी परिवार के बेहद विश्वासपात्र और करीबियों में गिना था उन्हें। शहर के किक्रेटर कहते हैैं कि पुरुषोत्तमदास को बल्ले का हैैंडल बनाने में महारथ थी। उनके चार पुत्रों मदन, सदन, संतोष और काके में पहले तीन अब भी बैट व अन्य स्पोट्र्स सामग्री बनाते हैैं।
80 के दशक में धूम
साइमंड्स बल्ले की धूम 80 के दशक में थी। इसे बनाने के लिए पुरुषोत्तम दास खास किस्म की लकड़ी चुनते थे। कश्मीरी और इंग्लिश विलो से इसे बनाया जाता था। पुरुषोत्तम दास ने कैरम बोर्ड, टेनिस रैकेट और हॉकी स्टिक भी गढ़ी थी।
क्रिकेटर शोकाकुल
पुरुषोत्तम दास के निधन से शहर के खिलाडिय़ों में शोक की लहर दौड़ गई। तमाम खिलाड़ी अंत्येष्टि के दौरान मौजूद थे। केबी काला, देवेश मिश्र, रंजीत मिश्र चंटू दादा, गिरधारी मिश्र, ऋषि शर्मा, राजीव भारद्वाज, चंद्र पाल, उबैद कमाल आदि ने कहा कि पुरुषोत्तम दास हमेशा याद रहेंगे।