गुरु कृपा से चारों भाई-बहन बन गए आइएएस
पड़ोसी जिला प्रतापगढ़ की लालगंज तहसील के इटौरी मकनपुर निवासी बड़ौदा ग्रामीण बैंक में शाखा प्रबंधक अनिल मिश्र के चारों बच्चे शुरू से ही मेधावी थे। उनकी पुत्री क्षमा व माधवी एवं बेटे योगेश एवं लोकेश ने देश की सर्वोच्च सेवा आइएएस परीक्षा में सफलता हासिल कर होनहार वीरवान के होत चीकने पात की कहावत को चरितार्थ कर दिखाया।
इलाहाबाद : गुरु की महिमा की बखान आदि काल से होती आ रही है। आज भी गुरु-शिष्य की वह परंपरा जीवित है। इस महान परंपरा की कड़ी में एक ऐसा परिवार, जिस पर गुरु की कृपा ऐसी बरसी कि चारों भाई-बहन आइएएस बन गए। ख्याति परिवार की बढ़ी और गर्व क्षेत्रवासी करते हैं।
पड़ोसी जिला प्रतापगढ़ की लालगंज तहसील के इटौरी मकनपुर निवासी बड़ौदा ग्रामीण बैंक में शाखा प्रबंधक अनिल मिश्र के चारों बच्चे शुरू से ही मेधावी थे। उनकी पुत्री क्षमा व माधवी एवं बेटे योगेश एवं लोकेश ने देश की सर्वोच्च सेवा आइएएस परीक्षा में सफलता हासिल कर होनहार वीरवान के होत चीकने पात की कहावत को चरितार्थ कर दिखाया। इन चारों की प्रारंभिक शिक्षा लालगंज के पुनीत जूनियर हाई स्कूल व इसके बाद इंटर की शिक्षा रामअंजोर इंटर कालेज में हुई। सबसे बड़ी क्षमा ने लालगंज स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा पीजी कालेज से ¨हदी में एमए किया, उनसे छोटे योगेश ने मोतीलाल नेहरु इलाहाबाद से बीटेक, तीसरे नंबर की माधवी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीजी व सबसे छोटे लोकेश ने दिल्ली से आइआइटी की पढ़ाई की। वर्ष 2013-14 में माधवी का आइपीएस व योगेश का आइएएस (एलाएड) में चयन हुआ, माधवी इन दिनों जमशेदपुर झारखंड में व योगेश काशीपुर कोलकता में तैनात हैं। इसके बाद वर्ष 2014-15 में क्षमा का आइपीएस व लोकेश का आइएएस पद पर चयन हुआ, क्षमा इन दिनों कर्नाटक में एवं लोकेश आईटी मंत्रालय दिल्ली में ट्रे¨नग पर हैं। उनकी बौद्धिकता को धार देने में शिक्षक श्री नारायण तिवारी व जरुरत के अनुरुप पिता, मां कृष्णा, बाबा व प्रधानाचार्य राम किशोर मिश्र, चाचा शिक्षक ज्ञान प्रकाश मिश्र ने योगदान दिया। आज एक ही परिवार से चार आइएएस होने का क्षेत्रवासियों को भी गर्व है। परिवार के लोग गांधी इंटर कालेज सांगीपुर में बतौर अंग्रेजी प्रवक्ता श्रीनारायण तिवारी को इसका श्रेय देते हैं। शिक्षक श्रीनारायण तिवारी लालगंज स्थित जूनियर हाई स्कूल लीलावती में प्रधानाध्यापक हैं और चारों मेधावी बच्चों की शिक्षा इसी स्कूल में हुई। श्री नारायण तिवारी ने जब सभी बहन भाईयों में पढ़ाई के प्रति मनोयोग देखा तो उन्होंने चारों को अलग से समय देना शुरू किया। उनकी एक-एक गतिविधि पर नजर रखी और उन्हें तराशते गए। वह अपने इन चारों शिष्यों के भविष्य को लेकर ¨चतित रहते और उनके माता-पिता, बाबा, शिक्षक चाचा से भी बराबर बात करते रहते। वे परिवार के सभी सदस्यों को प्रोत्साहित करते रहे, उनका विश्वास था कि एक दिन उनके ये चारों शिष्य देश की नंबर वन सेवा आइएएस में सफल होंगे। उनका और पूरे क्षेत्र का नाम रोशन करेंगे। उनका सपना सच साबित हुआ। क्षमा, योगेश, माधवी, लोकेश की सफलता से आज शिक्षक श्रीनारायण तिवारी फूले नहीं समाते हैं, आज भी वे स्कूल में बच्चों की शिक्षा को लेकर समर्पित रहते हैं। कहते हैं बुनियादी स्तर से ही बच्चों को तराश कर शिक्षक उनकी बुलंदी तक पहुंचने की दिशा का निर्धारण करने में मुख्य भूमिका निभाता है।