किसान सरसों की फसल के बेहतर उत्पादन के लिए ऐसा करें, शुआट्स प्रयागराज के वैज्ञानिकों ने दी सलाह
कृषि वैज्ञानिकों किसानों से कहा कि भिंडी के फसल में फलों की तुड़ाई प्रत्येक तीसरे दिन करें। अन्यथा तुड़ाई नियमित न करने पर फल बड़ा हो जाता है और उत्पादन कम होता है। भिंडी एवं अन्य सब्जियों की बोवाई के 30 से 35 दिनोंं के बाद खाद का प्रयोग करें।
प्रयागराज, जेएनएन। इन दिनों सरसों की फसल का मौसम है। सरसों की फसल के बेहतर उत्पादन के लिए किसानों को कृषि वैज्ञानिकों ने टिप्स दिया है। सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) के कृषि वैज्ञानिकों ने कृषकों को सलाह दी है कि सरसों की 75 प्रतिशत फलियों में सुनहरा पीला पड़ने पर कटाई करना उचित है। ऐसा न करने पर फसलों पर इसका को प्रभाव पड़ेगा। किसानों को इसके प्रवेश सचेत रहने की जरूरत है।
शुआट्स के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों की यह भी दी सलाह
नैनी स्थित शुआट्स में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के अंतर्गत भारत सरकार से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है। आम, अमरुद, नींबू, अंगूर, बेर तथा पपीता के बागों की आवश्यकतानुसार सिंचाई करने की भी किसानों को सलाह दी गई। कहा कि किसान रजनीगंधा में एक सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई करें। केले मेंं प्रति पौधे 25 ग्राम नाईट्रोजन , 25 ग्राम फाॅसफोरस व 100 ग्राम पोटाश भूमि में गुड़ाई कर मिला दें तथा सिंचाई करें।
भिंडी के फसल में फलों की तुड़ाई प्रत्येक तीसरे दिन करें
कृषि वैज्ञानिकों किसानों से कहा कि भिंडी के फसल में फलों की तुड़ाई प्रत्येक तीसरे दिन करें। अन्यथा तुड़ाई नियमित न करने पर फल बड़ा हो जाता है, जिससेे उत्पादन संख्या में कम प्राप्त होते है। भिंडी एवं अन्य सब्जियों की बोवाई के 30 से 35 दिनोंं के बाद खाद का प्रयोग करें। ग्रीष्मकालीन बैंगन में रोपाई के 30 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 50 किग्रा नाइट्रोजन (108 किग्रा यूरिया) की पहली टाप ड्रेसिंग व इतनी ही मात्रा की दूसरी टाप ड्रेसिंग रोपाई 45 दिन बाद करें। आलू की खुदाई, छंटाई एवं ग्रेडिंग करें तथा कंद के उपचार के बाद भंडारण करें।
झुलसा बीमारी ऐसे हो सकती है कम
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि फसल चक्र जैसे की प्याज के बाद ज्वार, बाजरा इत्यादि फसल लेने से झुलसा बीमारी कम हो जाती है। मूंग की बोवाई 30 सेंमी दूर कतारों में करें। बोवाई के समय 100 किग्रा प्रतिहेक्टेयर डीएपी उर्वरक का प्रयोग करें। नींबू वर्गीय वृक्षों में सूक्ष्म तत्वों का छिड़काव करें। फलों को फटने से बचाने के लिए 100 मिली ग्जबरेलिक एसिड प्रति 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।