युद्ध से पहले संधि प्रस्ताव पर बनीं सहमति
बहरिया के ग्राम पंचायत तुलापुर में रामलीला मंचन के नवें दिन राम की वानरी सेना जब समुद्र पर पुल बांधकर लंका पहुंची तो जामवंत ने कहा कि प्रभू युद्ध में तमाम निर्दोष मारे जाएंगे। हमारी सलाह है कि एक बार संधि का प्रस्ताव रावण के दरबार में भेजा जाए।
बहरिया : बहरिया के ग्राम पंचायत तुलापुर में रामलीला मंचन के नवें दिन राम की वानरी सेना जब समुद्र पर पुल बांधकर लंका पहुंची तो जामवंत ने कहा कि प्रभू युद्ध में तमाम निर्दोष मारे जाएंगे। हमारी सलाह है कि एक बार संधि का प्रस्ताव रावण के दरबार में भेजा जाए। यदि वह माता सीता को सम्मान पूर्वक वापस कर देता है तो युद्ध के बारे में सोचना उपयुक्त होगा। यह बात भगवान राम को अच्छी लगी और उन्होंने दूत के रूप में अंगद का चयन किया और उन्हें आदेश दिया कि रावण के दरबार में जाकर उसे समझाएं कि सीता को वापस कर देने में ही तुम्हारी भलाई है। अंगद इस बात संदेश लेकर जब रावण के दरबार में जाते हैं तो अहंकारी रावण उन्हें ही खरी खोटी सुनाने लगता है। इस बात पर क्रोधित होकर अंगद अपना पैर जमा कर यह कहते हैं कि यदि तुम्हारे दरबार में कोई भी हमारा पैर इस स्थान से हटा देगा तो मैं सीता माता को हार जाऊंगा। यह प्रतिज्ञा कर अंगद अपना पैर जमा देते हैं। रावण के सभी पुत्र और दरबारी अंगद का पैर उठाने का प्रयास करते हैं किन्तु कोई भी अंगद के पैर को टस से मस नहीं कर पाता। अंत में रावण खुद उठकर अंगद का पैर उठाने के लिए जैसे बढ़ता है। अंगद अपना पैर खींच कर यह कहते हैं कि हमारे पैर पड़ने से क्या लाभ होगा यदि तुम भगवान राम का चरण छू लो तो तुम्हारा कल्याण हो जाएगा। इसी के पश्चात राम रावण युद्ध की तैयारी होने लगती है। दोनों तरफ से भीषण संग्राम होता है। रावण के अनेक योद्धा मारे जाते हैं। रामलीला के प्रमुख पात्रों में नारायण मिश्र, राजन पांडेय, राजकुमार सिंह, अतुल मिश्र, सिटू मिश्र, विद्या भूषण मिश्र, ननकऊ मिश्र, अभिषेक मिश्र, राजेन्द्र दूबे, लक्ष्मण सिंह, मुन्ना सिंह, दिनेश सिंह, अनिल सिंह, चंद्र शेखर द्विवेदी, पुत्ती सिंह बबलू सिंह, गजराज सिंह, राम कैलाश विश्वकर्मा, व्यास की भूमिका में प्रमुख रूप से योगदान बेचन सिंह के समूची रामलीला संपन्न कराई गई। प्रबंधक राबेंद्र मिश्र एवं अध्यक्ष मुनीषा नंद द्वारा बहुत ही आकर्षक ढंग राम का मंचन संपन्न कराया गया।