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हाथ जोड़कर अफसर बाेले, बाबाजी पांटून पुल पर हाथी चढ़ेगी तो टूट जाएगा

कुंभ मेले में मेला प्रशासन और अखाड़ों के बीच सहमति बनी। अब पेशवाई-शाही स्‍नान के दौरान पांटून पुल पर हाथी, घोड़े नहीं चलेंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 23 Dec 2018 05:49 PM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 05:49 PM (IST)
हाथ जोड़कर अफसर बाेले, बाबाजी पांटून पुल पर हाथी चढ़ेगी तो टूट जाएगा
हाथ जोड़कर अफसर बाेले, बाबाजी पांटून पुल पर हाथी चढ़ेगी तो टूट जाएगा

प्रयागराज : कुंभ मेले में पेशवाई और शाही स्नान के दौरान हाथी, घोड़े के प्रवेश को लेकर मेला प्रशासन व संतों के बीच सहमति बन गई है। पुलिस अधिकारियों ने परंपरा का पालन करने की बात कही तो अखाड़े राजी हो गए। तय हुआ पेशवाई के दौरान हाथी, घोड़े पांटून पुल के ऊपर नहीं चलेंगे। सुरक्षा के लिहाज से यह जरूरी है।

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 मेला क्षेत्र का विस्तार होने के कारण इस बार अखाड़ों को गंगा के उस पार बसाया गया है। शुक्रवार को मेला प्रशासन और अखाड़ों की बैठक कुंभ पुलिस दफ्तर में हो रही थी। पुलिस अधिकारियों ने नियम का हवाला देते हुए पेशवाई में हाथी, घोड़े नहीं लाने की बात कही। इस पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष समेत अन्य संत नाराज हो गए। परंपरा और निर्देश को लेकर टकराव हुआ तो कुछ संत बैठक छोड़कर बाहर निकल गए। संतों का रुख देख अधिकारी बैकफुट पर आ गए और फिर उन्हें मनाया। पुलिस अधिकारी इस मसले पर मंथन करते रहे और फिर परंपरा का निर्वहन करने की बात कही। अखाड़े के पदाधिकारी भी परेड में त्रिवेणी मार्ग तक ही हाथी और घोड़े ले जाने पर राजी हो गए।

2001 कुंभ में भी यही व्यवस्था

यही व्यवस्था 2001 के कुंभ में भी थी। डीआइजी कुंभ मेला केपी सिंह के मुताबिक पांटून पुल पर हाथी, घोड़े नहीं चलेंगे। अखाड़ों की परंपरा का पालन किया जाएगा। पेशवाई मार्ग पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहेंगे। उधर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि परंपरा के अनुसार पेशवाई में हाथी, घोड़े शामिल होंगे। पुलिस अफसरों ने परंपरा का निवर्हन कराने की बात कही है।

1954 में हाथी भड़कने से हुई थी भगदड़

1954 के कुंभ मेले में हाथी भड़क गया था, जिससे भगदड़ हुई थी। इसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और कई जख्मी हुए थे। उस हादसे के बाद से मेले में हाथियों का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित है।


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