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बंद फाइल : आखिर अमित का कातिल कौन, छह महीने बाद भी सुराग नहीं

बहादुरगंज के रहने वाले पूर्व पार्षद का भतीजा अमित अग्रहरि की छह महीने पहले हत्‍या हुई थी। जांच-पड़ताल के बाद भी पुलिस के हाथ आज तक यह सुराग नहीं लगा कि हत्यारा कौन है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 07:48 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jun 2019 10:11 AM (IST)
बंद फाइल : आखिर अमित का कातिल कौन, छह महीने बाद भी सुराग नहीं
बंद फाइल : आखिर अमित का कातिल कौन, छह महीने बाद भी सुराग नहीं

प्रयागराज, जेएनएन। शहर से लेकर संगम क्षेत्र तक विश्वविख्यात कुंभ मेले की तैयारी चल रही थी। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस और पीएसी का डेरा लगने लगा था। संगम और आसपास का क्षेत्र दूर से ही दर्शनीय दिख रहा था। कोतवाली थाना क्षेत्र के बहादुरगंज मुहल्ले में रहने वाले पूर्व पार्षद का भतीजा अमित अग्रहरि भी दोस्तों के साथ वहां घूमने के लिए गया था। 24 नवंबर 2018 की शाम सभी ने पीपा पुल के पास बीयर पी। इसके बाद अमित स्कूटी लेकर घर लौट रहा था, तभी रास्ते में उसका किसी से विवाद हुआ। झगड़ा बढऩे पर पीट-पीटकर उसे मार डाला गया। 

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सवाल उठने लगा कि हत्याकांड का राजफाश हो सकेगा या नहीं

इस वारदात को हुए छह माह का वक्त बीत चुका है, लेकिन कत्ल किसने और क्यों किया? इस यक्ष प्रश्न का उत्तर अब तक अमित के पिता जय बाबू व परिजनों को नहीं मिल सका है। ऐसे में बड़ा सवाल पुलिस की कार्यशैली को लेकर उठने लगा है कि आखिरकार इस हत्याकांड का राजफाश होगा भी या नहीं। हालांकि हत्याकांड के बाद मामले में कई मोड़ आए। कत्ल के दूसरे दिन पता चला कि अमित साथी शाश्वत के साथ संगम की तरफ गया। तीसरे दिन जानकारी हुई कि उसके साथ गोपाल पाठक, शुभम मिश्रा समेत कई अन्य दोस्त थे। वहां जाने से पहले सभी ने नैनी स्थित एक मॉडल शॉप में भी शराब पी थी। कत्ल के पीछे यह बात सामने आई थी रास्ते में पेट्रोल खत्म होने वह शराब के नशे में गाली-गलौज करते हुए लोगों से ईंधन मांग रहा था। 

किन-किन बिंदुओं पर हुई जांच 

मामले में घरवालों ने मोहत्मिसगंज निवासी गोपाल पाठक व अन्य के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने पहले तत्कालिक विवाद में हत्या के बिंदु पर जांच की। इसके बाद आशनाई के एंगल पर तफ्तीश शुरू हुई। गोपाल पर धमकी देने का आरोप लगा तो कॉल रिकार्डिंग खंगाली और फिर दूसरे विवादों को पुलिस ने खंगाला। बयान, वैज्ञानिक साक्ष्य और दूसरे किसी तरह के सबूत न मिलने पर नामजद आरोपितों को छोड़ दिया गया। व्यापारियों के आक्रोश को देखते हुए कुछ दिनों तक जांच-पड़ताल चलती रही, लेकिन बाद में इस हत्याकांड की फाइल बंद हो गई। 

बोले इंस्पेक्टर दारागंज 

इंस्पेक्टर दारागंज विनीत सिंह का कहना है कि हत्याकांड में सभी संभावित बिंदुओं पर जांच की गई है। किसी तरह का साक्ष्य नहीं मिला है। विवेचना चल रही है और सुराग मिलने पर आगे की कार्रवाई होगी। 

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