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प्रतापगढ़ : मवेशी छुट्टा छोड़ने पर दर्ज होगी एफआइआर, ऐसे होगी पशुपालक की पहचान

कोई पशुपालक अपने मवेशी छुट्टा छोड़ता है तो उस पर की गई नंबरिंग के आधार पर उसकी जानकारी कर उसके खिलाफ पशुक्रूरता अधिनियम में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। पशुपालन विभाग ने अब तक 18 हजार पशुओं की टैगिंग कर दी है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 05:37 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 05:37 PM (IST)
प्रतापगढ़ : मवेशी छुट्टा छोड़ने पर दर्ज होगी एफआइआर, ऐसे होगी पशुपालक की पहचान
अब तक 18 हजार पशुओं की टैगिंग की जा चुकी है।

प्रतापगढ़,जेएनएन। जिले में गोवंश व अन्य पशु बेसहारा ना रहें, इसके लिए गो-संरक्षण केंद्र खोले गए हैं। इसके साथ ही पशुपालन विभाग ने गोवंश समेत अन्य मवेशियों को आधार से जोडऩे का कार्य शुरू कर दिया है। गोवंश व अन्य मवेशियों को पशुपालकों के आधार कार्ड से जोड़ दिया जाएगा, उनकी नंबरिंग होगी, उनकी टैगिंग होगी। आधार कार्ड से जोड़े जाने के बाद सभी मवेशियों का टीकाकरण व कृत्रिम गर्भाधान व बधियाकरण निश्शुल्क किया जाएगा। इसकी मॉनिटरिंग पशुधन प्रसार अधिकारी व उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी करेंगे।

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पशुपालन विभाग ने अब तक 18 हजार पशुओं की कर चुका है टैगिंग

यदि कोई पशुपालक अपने मवेशी छुट्टा छोड़ता है तो उस पर की गई नंबरिंग के आधार पर उसकी जानकारी कर उसके खिलाफ पशुक्रूरता अधिनियम में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। पशुपालन विभाग ने अब तक 18 हजार पशुओं की टैगिंग कर दी है। जिले में कुल 1241 ग्राम पंचायत में हैं। गो वंश को बचाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार के निर्देश पर पशुपालन विभाग गोकुल योजना चला रहा है। इस योजना के अंतर्गत 300 गांव का चयन करके शासन को भेजा गया था। इसमें ग्राम प्रधानों के माध्यम से एक वैक्सीनेटर व सहायक का चयन किया गया है। इससे लगभग 24 हजार रोजगार का सृजन भी हुआ है। इन्हें तीन रुपये प्रति पशु टीका लगाने पर तथा ढाई रुपए प्रति पशु टैगिंग करने के लिए दिए जाएंगे। प्रतापगढ़ में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विजय प्रताप सिंह ने बताया कि अब गोवंश समेत अन्य मवेशियों को पशुपालक के आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। कोई भी पशुपालक अपने पशुओं को छुट्टा छोड़ता है तो टैगिंग एवं नंबरिंग के आधार पर उसका पता लग जाएगा। उसके खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। अभी तक 20 हजार पशुओं की टैगिंग का कार्य हो चुका है।

मृत पशुओं का डिस्पोजल पंचायतीराज विभाग के जिम्मे

पशुओं के मृत होने पर उनके डिस्पोजल की सारी जिम्मेदारी पंचायती राज विभाग की होगी। इसके लिए प्रत्येक गांव में जमीन चिह्नित की जाएगी। ग्राम पंचायतों, नगर पंचायतों एवं जिला पंचायत का दायित्व होगा कि वह मृत पशुओं का डिस्पोजल कराए। यदि किसी भी मृत पशु को नहर, तालाब या किसी सार्वजनिक स्थल पर फेंका जाता है तो उसके लिए ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव व लेखपाल पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे। डीएम ने सभी उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह मृत पशुओं के डिस्पोजल के लिए जमीन चिन्हित कर लें।


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