गरीब तबके के बच्चे अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की पिस्तौल निश्शुल्क देख सकेंगे Prayagraj News
परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब तबके के बच्चे भी इलाहाबाद संग्रहालय में रखे धरोहरों को निश्शुल्क देख और समझ सकेंगे। संस्कृति मंत्रालय व संग्रहालय की यह संयुक्त पहल है।
By Edited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 07:41 PM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 08:00 AM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब तबके के बच्चों का भी इलाहाबाद संग्रहालय देखने का सपना अब पूरा हो रहा है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और संग्रहालय की संयुक्त पहल समाज की मुख्य धारा में जुड़ने से वंचित विद्यार्थियों की इस हसरत को पूरा कर रही है।
इतिहास को अपने में समेटे है इलाहाबाद संग्रहालय
इस योजना की विशेषता यह है कि बच्चों को स्कूल से संग्रहालय तक लाने और वापस ले जाने, संग्रहालय में प्रवेश और प्राचीन वस्तुओं को देखने व समझने में सहायक गाइड की सुविधा भी मुफ्त रखी गई है। इलाहाबाद संग्रहालय में शहीद चंद्रशेखर आजाद की पिस्तौल, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री स्व. पं. जवाहर लाल नेहरू, आजादी के आंदोलन में अमूल्य योगदान देने वाले अन्य क्रांतिकारियों से संबंधित दुर्लभ वस्तुएं, प्राचीन काल की विभिन्न सभ्यताओं का इतिहास बताने वाले अवशेष रखे हैं।
पक्षियों, मछलियों व जंगली जानवरों की वीथिका भी
पक्षियों, जंगली जानवरों और मछलियों से संबंधित वीथिका भी है। जो बच्चों के लिए काफी रोचक हो सकती है। संग्रहालय में अमूमन आम शहरी ही जाते हैं लेकिन, अब गरीब तबके के बच्चों के लिए भी रास्ते सुगम हो गए हैं। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की योजना के अनुसार अप्रैल 2019 से परिषदीय स्कूलों के बच्चों को संग्रहालय दिखाए जाने की शुरुआत हुई थी।
अड़चनें दूर हुईं
बीच में कुछ अड़चनें आई लेकिन, अब इसमें फिर तेजी आ गई है। अब तक कौशांबी, करछना, मेजा से बच्चे आ चुके हैं। एक गैर सरकारी संगठन की ओर से भी बच्चों का समूह संग्रहालय लाया जा चुका है।
पत्र के माध्यम से बच्चों को संग्रहालय भेजने की योजना की जानकारी दी गई
संग्रहालय प्रशासन का कहना है कि जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को चिट्ठी भेजी गई है। इसकी प्रति जिलाधिकारी और मंडलायुक्त कार्यालय को भी दी गई है। इसमें स्कूली बच्चों को संग्रहालय भेजने की योजना की जानकारी दी गई है।
संग्रहालय वहन करेगा खर्च
योजना के अनुसार बच्चों को उनके अध्यापक स्कूल से किसी साधन से लाएंगे। जिस वाहन से बच्चे आएंगे उसका आने-जाने का खर्च संग्रहालय वहन करेगा। बच्चों को प्रवेश व सहायक गाइड मुफ्त में मिलेगा। दूर-दराज से आने की स्थिति को देखते हुए उसी अनुसार बच्चों को संग्रहालय में नाश्ता भी दिए जाने का इंतजाम है।
इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक बाेले
इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक डॉ. सुनील गुप्त कहते हैं कि सरकार की अच्छी पहल संस्कृति मंत्रालय की योजना का क्रियान्वयन कराया जा रहा है। इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। स्कूल इस मामले में रुचि ले रहे हैं। यह सरकार की अच्छी पहल है।
इतिहास को अपने में समेटे है इलाहाबाद संग्रहालय
इस योजना की विशेषता यह है कि बच्चों को स्कूल से संग्रहालय तक लाने और वापस ले जाने, संग्रहालय में प्रवेश और प्राचीन वस्तुओं को देखने व समझने में सहायक गाइड की सुविधा भी मुफ्त रखी गई है। इलाहाबाद संग्रहालय में शहीद चंद्रशेखर आजाद की पिस्तौल, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री स्व. पं. जवाहर लाल नेहरू, आजादी के आंदोलन में अमूल्य योगदान देने वाले अन्य क्रांतिकारियों से संबंधित दुर्लभ वस्तुएं, प्राचीन काल की विभिन्न सभ्यताओं का इतिहास बताने वाले अवशेष रखे हैं।
पक्षियों, मछलियों व जंगली जानवरों की वीथिका भी
पक्षियों, जंगली जानवरों और मछलियों से संबंधित वीथिका भी है। जो बच्चों के लिए काफी रोचक हो सकती है। संग्रहालय में अमूमन आम शहरी ही जाते हैं लेकिन, अब गरीब तबके के बच्चों के लिए भी रास्ते सुगम हो गए हैं। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की योजना के अनुसार अप्रैल 2019 से परिषदीय स्कूलों के बच्चों को संग्रहालय दिखाए जाने की शुरुआत हुई थी।
अड़चनें दूर हुईं
बीच में कुछ अड़चनें आई लेकिन, अब इसमें फिर तेजी आ गई है। अब तक कौशांबी, करछना, मेजा से बच्चे आ चुके हैं। एक गैर सरकारी संगठन की ओर से भी बच्चों का समूह संग्रहालय लाया जा चुका है।
पत्र के माध्यम से बच्चों को संग्रहालय भेजने की योजना की जानकारी दी गई
संग्रहालय प्रशासन का कहना है कि जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को चिट्ठी भेजी गई है। इसकी प्रति जिलाधिकारी और मंडलायुक्त कार्यालय को भी दी गई है। इसमें स्कूली बच्चों को संग्रहालय भेजने की योजना की जानकारी दी गई है।
संग्रहालय वहन करेगा खर्च
योजना के अनुसार बच्चों को उनके अध्यापक स्कूल से किसी साधन से लाएंगे। जिस वाहन से बच्चे आएंगे उसका आने-जाने का खर्च संग्रहालय वहन करेगा। बच्चों को प्रवेश व सहायक गाइड मुफ्त में मिलेगा। दूर-दराज से आने की स्थिति को देखते हुए उसी अनुसार बच्चों को संग्रहालय में नाश्ता भी दिए जाने का इंतजाम है।
इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक बाेले
इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक डॉ. सुनील गुप्त कहते हैं कि सरकार की अच्छी पहल संस्कृति मंत्रालय की योजना का क्रियान्वयन कराया जा रहा है। इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। स्कूल इस मामले में रुचि ले रहे हैं। यह सरकार की अच्छी पहल है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें