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विरासत और परंपरा ही हमे पूर्वजों से बांधती है : राजा महेंद्र प्रताप

शंकरगढ़ विजयदशमी का पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। जटायू ने माता सीता की रक्षा

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 12:07 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 12:07 AM (IST)
विरासत और परंपरा ही हमे पूर्वजों से बांधती है : राजा महेंद्र प्रताप
विरासत और परंपरा ही हमे पूर्वजों से बांधती है : राजा महेंद्र प्रताप

शंकरगढ़ : विजयदशमी का पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। जटायू ने माता सीता की रक्षा कर भगवान श्रीराम का गोद पाया। द्रौपदी के चीर हरण में आखें बंद करने वाले भीष्म पितामह को बाड़ों की शैय्या मिली।

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उक्त वक्तव्य नगर पंचायत के शंकरगढ़ राजभवन परिसर में पारंपरिक ढंग से आयोजित विजयदशमी उत्सव एवं राजगद्दी कार्यक्रम में शामिल नागरिकों के प्रति आभार जताते हुए राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने दिया। उन्होंने कहा कि दुराचार, नकारात्मकता एवं अहंकार रूपी रावण का विनाश ही आज के पर्व का मुख्य उद्देश्य है। हमें बुराइयों से घबराना नहीं चाहिए। बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो जीत हमेशा अच्छाई की ही होती है। यदि समाज में कुछ गलत कार्य हो रहा हो तो विजयदशमी पर्व पर उसका विरोध करने का संकल्प लेना चाहिए। महिलाओं व लड़कियों के साथ हो रही घटनाएं बहुत ही दुखद है। अपने अंदर छिपे रावण को सुधार लिया जाए तो समाज सुधर सकता है। भगवान राम हमारे ईष्ट है। कहा कि विरासत और परंपरा ही हमे पूर्वजों से बांधती है। शंकरगढ़ राजघराने की 36वीें पीढ़ी द्वारा आयोजित राजगद्दी कार्यक्रम में क्षेत्र के शिक्षकों, किसानों, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों, व्यापारियों एवं मजदूरों ने शामिल होकर राजा महेन्द्र प्रताप सिंह को नजर स्वरूप मुद्रा भेंट कर अभिवादन किया। महोत्सव का संचालन गुलाब सिंह व मुन्नू सिंह ने किया। महोत्सव के विशिष्ट लोगों में प्रधानाचार्य अनय प्रताप सिंह व योगेन्द्र प्रताप सिंह रहे। उत्सव में चेयरमैन लल्लू कनौजिया, युवराज शिवेन्द्र प्रताप सिंह, भंवर त्रम्बकेश्वर प्रताप सिंह, नरसिंह सोलंकी, मधुकर प्रताप सिंह, मुन्नू सिंह, श्यामबहादुर सिंह, कमलाकर सिंह, पूर्व चेयरमैन अवशाफ अली, दादू सिंह, गोपालदास गुप्ता, वीरेन्द्र सिंह, सचिन वैश्य, सीपी सिंह, त्रियुगीकान्त मिश्र, अनूप केसरवानी, देवदत्त तिवारी, कृष्णदेव मिश्र, नरेन्द्रमणि त्रिपाठी, अर्जुन सिंह तोमर, विजयबाबू वैश्य, बद्री प्रसाद सिंह, कमलापित त्रिपाठी, अंजनीलाल, भैय्यन अली, दिलीप केसरवानी, अमर बहादुर सिंह, डा.राजू सिंह, रामबोध खरवार, चन्द्रमणि मिश्रा, दारा भाई आदि शामिल रहे।


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