Move to Jagran APP

संत महंत हो सकता है, लेकिन मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नहीं, माघ मेला में बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने माघ मेला क्षेत्र की व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इस वर्ष माघ मेला की बहुत अनदेखी हुई। अव्यवस्था से आहत होकर कुछ संत उपवास और आत्मदाह की धमकी देने को मजबूर हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि उनके पास पर्याप्त बजट नहीं है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 08:59 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 08:59 AM (IST)
संत महंत हो सकता है, लेकिन मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नहीं, माघ मेला में बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
माघ मेला की अव्यवस्था पर व्यक्त की स्वामी ने नाराजगी

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कोई संत मुख्यमंत्री नहीं हो सकता। जो मुख्यमंत्री होगा वो संत नहीं रहता। मुख्यमंत्री का पद संवैधानिक है। उस पद पर आसीन होने वाला व्यक्ति धर्मनिरपेक्षता की शपथ लेता है। यह कहना है शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का। माघ मेला क्षेत्र के त्रिवेणी मार्ग स्थित शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिविर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर इशारों-इशारों में हमला किया। कहा कि कोई भी आदमी दो प्रतिज्ञाओं का पालन नहीं कर सकता है। एक संत ''महंत हो सकता है, लेकिन मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नहीं। यह इस्लाम की व्यवस्था में संभव है, जिसमें धार्मिक मुखिया भी राजा होता है। उन्होंने माघ मेला की अव्यवस्था पर नाराजगी भी जाहिर की।

loksabha election banner

अबकी माघ मेला की अनदेखी गई, संत हुए आत्मदाह की चेतावनी देने को मजबूर

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने माघ मेला क्षेत्र की व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इस वर्ष माघ मेला की बहुत अनदेखी हुई है। अव्यवस्था से आहत होकर कुछ संत उपवास और आत्मदाह की धमकी देने को मजबूर हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि उनके पास पर्याप्त बजट नहीं है। अगर ऐसा है तो संतों को सार्वजनिक रूप से बताएं। संत चंदा से धन एकत्र करके उन्हें दे देंगे। कहा कि गंगा पर सरकारों ने बांध बनाकर नियंत्रण कर रखा है। ऐसे में माघ मेला के समय अचानक अनिश्चित पानी क्यों छोड़ा जा रहा है? जिससे कल्पवासियों व संतों के टेंट डूब गए। साबित करता है कि मेला के प्रति सरकार व अधिकारी गंभीर नहीं हैं। जब अद्र्धकुंभ को कुंभ किया जा सकता है, तो माघ मेला का स्वरूप भी भव्य होना चाहिए। उन्होंने संतों व श्रद्धालुओं से कोविड-19 गाइडलाइंस का ईमानदारी से पालन करने की सलाह दिया। कहा कि उसमें लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

नेता चाहते हैं धर्मगुरु उनकी भाषा बोलें

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हर प्रमुख पदों पर राजनीति दल अपने लोगों को स्थापित कर रहे हैं। इसमें सभी दल शामिल हैं। कहा कि राजनीतिक दल अपने विचारों को आगे बढ़ाने के लिए मतदाताओं के साथ धार्मिक पदों पर कब्जा करना चाहते हैं। देश में कुछ लोग चाहते हैं कि धर्मगुरु उनकी भाषा में बात करें। इसीलिए धर्म का प्रचार करने वाले लोग इसकी पुरानी किताबों पर चल रहे हैं और उन्हें परेशान कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर कहा कि लोगों को सही आदमी और सही पार्टी का चुनाव करना चाहिए ताकि सरकार बनने के बाद उन्हें पछताना न पड़े, जैसा कि इन दिनों महसूस किया जा रहा है। उन्हें महसूस हो रहा है कि उन्होंने गलती की है। आने वाले चुनाव में लोगों को ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए। चुनाव में 80 और 20 की बात होने को उन्होंने देश तोडऩे वाला बताया। कहा कि इससे देश में विभाजन की स्थिति उत्पन्न होगी, ऐसी बात करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.