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69000 शिक्षक भर्ती : इलाहाबाद हाई कोर्ट के अहम आदेश से खत्म होगी ओवरलैपिंग, जानिए कैसे...

इलाहाबाद हाई कोर्ट के अहम आदेश ने यूपी के बेसिक शिक्षा महकमे में खलबली मचा दी है। 69000 शिक्षक चयन में यह आदेश लागू हो जाए तो ओवरलैपिंग खत्म हो जाएगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 09:26 PM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 11:51 PM (IST)
69000 शिक्षक भर्ती : इलाहाबाद हाई कोर्ट के अहम आदेश से खत्म होगी ओवरलैपिंग, जानिए कैसे...
69000 शिक्षक भर्ती : इलाहाबाद हाई कोर्ट के अहम आदेश से खत्म होगी ओवरलैपिंग, जानिए कैसे...

प्रयागराज [धर्मेश अवस्थी]। 69000 Assistant Teacher Recruitment : हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट के अहम आदेश ने यूपी के बेसिक शिक्षा महकमे में खलबली मचा दी है। 69000 शिक्षक चयन में यह आदेश लागू हो जाए तो ओवरलैपिंग खत्म हो जाएगी। असल में, हाई कोर्ट ने प्राथमिक स्कूलों की 68500 सहायक अध्यापकों के जिला आवंटन मामले में आदेश दिया है कि मेरिटोरियस आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को उनके वर्ग का मानकर जिला आवंटन किया जाए। कोर्ट इस मामले में पुनर्विचार याचिकाओं को भी खारिज कर चुकी है। 

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इसे ऐसे समझिए, प्राथमिक स्कूलों के लिए 68500 शिक्षक भर्ती हुई। इसमें सामान्य वर्ग की कुल सीटों पर ओबीसी, एससी और एसटी आदि अभ्यर्थी चयनित हुए, क्योंकि उनके गुणांक सामान्य अभ्यर्थी से अधिक या फिर बराबर थे। परिषद ने सामान्य की सीटों पर चयनित अभ्यर्थियों को सामान्य मानते हुए जिला आवंटित किया। इससे उन्हें मनचाहे जिले के बजाए दूर के जिलों में नियुक्ति मिल सकी। इस भर्ती की शुरुआत में शिक्षकों के चयन के लिए दो सूची जारी हुई थी। दूसरी सूची में कम गुणांक वाले अभ्यर्थियों को आसानी से गृह जिला मिल गया।

जिला आवंटन को हाई कोर्ट में शिखा सिंह व 48 अन्य ने चुनौती दी। इसमें मांग थी कि मेरिट से जिला आवंटन किया जाए। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने 29 अगस्त, 2019 को आदेश दिया कि मेरिट से नहीं, बल्कि मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को आरक्षित वर्ग का मानते हुए उनके वर्ग के अनुसार जिला आवंटित हो। फिर पुनर्विचार याचिका डाली गई, कोर्ट ने 13 मई, 2020 को उसे भी यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ऐसा न करने से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा।

बेसिक शिक्षा परिषद के उप सचिव अनिल कुमार ने बताया कि कोर्ट के आदेश का इस भर्ती में अनुपालन कराने का प्रयास होगा। पहले अभ्यर्थी को सामान्य मानकर मांगे गए जिले का विकल्प देखेंगे, यदि मिल जाता है तो वह सामान्य में रहेगा। यदि अपने वर्ग में मिलता है तो उसे संबंधित वर्ग देकर जिला आवंटन करेंगे। 

इस आदेश के मायने

  • 1. अभ्यर्थी ने जिस वर्ग के लिए आवेदन किया है उसे उसी वर्ग में रखा जाए, भले ही उसके अंक कितने ही क्यों न हों।
  • 2. आरक्षित वर्ग का मेधावी यदि अपने वर्ग में चयनित होगा तो उसे आसानी से अपना जिला मिल सकता है।
  • 3. सामान्य वर्ग की सीटों पर अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों को ओवरलैप कराने की व्यवस्था खत्म होगी।

69000 भर्ती में यह पड़ सकता असर

  • 1. सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी 36614 लिखित परीक्षा उत्तीर्ण हैं, ऐसे में अधिकांश चयनित होंगे।
  • 2. ओबीसी के 84868 और एससी के 24308 परीक्षा उत्तीर्ण हैं अधिकांश का नहीं हो सकेगा चयन।
  • 3. उप्र लोकसेवा आयोग ने पिछले वर्ष ही भर्तियों में ओवरलैपिंग को पूरी तरह से खत्म कर दिया है।

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