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69 हजार शिक्षक भर्ती : हाई कोर्ट ने आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में समायोजित करने पर मांगा जवाब

इलाहाबाद हाई कोर्ट में 69000 अध्यापक भर्ती में टीईटी पास आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में समायोजित करने के 25 मार्च 1994 के शासनादेश की वैधता को चुनौती दी गई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 10 Jun 2020 07:17 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2020 07:17 PM (IST)
69 हजार शिक्षक भर्ती : हाई कोर्ट ने आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में समायोजित करने पर मांगा जवाब
69 हजार शिक्षक भर्ती : हाई कोर्ट ने आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में समायोजित करने पर मांगा जवाब

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में टीईटी पास आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में समायोजित करने के 25 मार्च 1994 के शासनादेश की वैधता को चुनौती दी गई है। चुनौती याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार से एक माह में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने अजीत कुमार व 35 अन्य की याचिका पर दिया है।

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याचिका में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 में एनसीटीई और राज्य सरकार द्वारा टीईटी के लिए पांच प्रतिशत की छूट, शिक्षक भर्ती परीक्षा में पुन: पांच प्रतिशत की छूट तथा उप्र आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) व शासनादेश 25 मार्च 1994 द्वारा आरक्षित वर्ग को आयु की छूट देने की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। याची अधिवक्ता आलोक मिश्र का कहना है कि अनारक्षित वर्ग में सभी वर्ग समाहित हैं। ऐसे में आरक्षित वर्ग के व्यक्ति को सामान्य वर्ग में समायोजित करने से सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के अवसर कम होंगे। जो सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण नियमों का उल्लंघन होगा।

याची का कहना है कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षित पदों पर चयनित होने का अधिकार है। आयु सहित तमाम छूट का लाभ लेकर चयनित अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में समायोजित करना स्थापित विधि, व्यवस्था के विपरीत होगा।


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