World Cancer Day : यही हकीकत है, 58 फीसद लोग तंबाकू के सेवन से कैंसर के शिकार हो रहे Prayagraj News
बीड़ी और सिगरेट पीने से गले और फेफड़े के कैंसर के मरीजाें की संख्या में वृद्धि हो रही है। लापरवाही भी लोग बरतते हैं लक्षण दिखने के बाद भी कई लोग इलाज में लापरवाही बरतते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। चार फरवरी यानी आज मंगलवार को विश्व कैंसर दिवस मनाया जा रहा है। ऐसे में लोगों के लिए सलाह है कि यदि जो लोग किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे हैं तो अतिशीघ्र तौबा कर लें अन्यथा कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। कमला नेहरू कैंसर अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. बी. पॉल ने इस रोग के संबंध में और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है। यह भी जानने योग्य बात है कि कमला नेहरू कैंसर अस्पताल (क्षेत्रीय कैंसर संस्थान) में कैंसर के 58 फीसद ऐसे मरीज मिले हैं, जो विभिन्न रूपों में तंबाकू का सेवन करते थे।
ध्यान देने योग्य बातें
02 नंबर पर है स्तन का कैंसर जिससे 24 फीसद महिलाएं हैं परेशान
12 हजार मरीज आ रहे हैं कमला नेहरू कैंसर अस्पताल में प्रतिवर्ष
42 फीसद में अन्य कारणों से होना पाया गया है अलग-अलग कैंसर
1.50 लाख लोगों को तंबाकू छोडऩे पर बचाया जा सकता है हर साल
ऐसा करेंगे तो बीमारी से बच सकते हैं
सर्वविदित है कि किसी भी रूप में तंबाकू खाने या चबाने के आदी रहेे लोगों को मुख और गले का कैंसर हुआ। जो बीड़ी या सिगरेट का अधिक सेवन करते थे वह फेफड़े और गले के कैंसर से ग्रसित हुए। ऐसा अनुमान है कि यदि तंबाकू का प्रयोग (सिगरेट, बीड़ी, पान आदि) छोड़ दिया जाए तो लोगों को बचाया जा सकता है।
बच्चेदानी के मुख का कैंसर टॉप पर
यूपी समेत कई राज्यों में महिलाओं में बच्चेदानी के मुख का कैंसर टॉप पर है। क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 45 फीसद में इस कैंसर का कारण कम उम्र में शादी या संभोग करना, छोटी उम्र में बच्चे पैदा होना, प्राइवेट पार्ट की सफाई न होना प्रमुख है।
पहले स्टेज पर इलाज हो तो बेहतर
डॉ. बी. पॉल कहते हैं कि पहले स्टेज पर लक्षण दिखे तो तत्काल विशेषज्ञ से परामर्श लें। इलाज शुरू होने पर सकारात्मक परिणाम आते हैं। कैंसर हमारे जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है।
कैंसर से पीडि़त लोगों में लक्षण
मुंह में सूजन, जख्म या फोड़ा होना, कैंसर के प्रकट होने के कई साल पहले मुंह में सफेद दाग बन जाते हैं। मुंह और गले से खून का बहना। खांसी या गले में लगातार खरास होना।