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46 वर्ष पूर्व इलाहाबाद High Court ने आज के ही दिन पीएम इंदिरा गांधी के खिलाफ सुनाया था ऐतिहासिक फैसला

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विधि संकाय के डीन और विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जेएस सिंह बताते हैं कि यह कहानी 1971 की है जब रायबरेली के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण को भारी अंतर से हराया था। उनकी जीत को राजनारायण ने कोर्ट में चुनौती दी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 07:58 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 07:58 AM (IST)
46 वर्ष पूर्व इलाहाबाद High Court ने आज के ही दिन पीएम इंदिरा गांधी के खिलाफ सुनाया था ऐतिहासिक फैसला
तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 जून 1975 को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।

प्रयागराज, जेएनएन। जी हां, वह सन 1975 का 12 जून ही था। यह वही ऐतिहासिक तारीख है, जिसने भारतीय राजनीति की दिशा बदल दी थी। यह वही दिन है, जब 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए उन्हेंं चुनावों में धांधली का दोषी पाया था। इसी के साथ 46 बरस पहले देश में आपातकाल की नींव रखी गई थी।

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इंदिरा की जीत को राजनारायण ने कोर्ट में दी थी चुनौती

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में विधि संकाय के डीन और विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जेएस सिंह बताते हैं कि यह कहानी 1971 की है, जब रायबरेली के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण को भारी अंतर से हराया था। उनकी जीत को राजनारायण ने कोर्ट में चुनौती दी। करीब पांच साल तक चले इस मुकदमे के बाद 12 जून 1975 को जब फैसला होने वाला था तब सुबह 10 बजे से पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट का कोर्ट रूम नंबर 24 खचाखच भर चुका था।

जस्टिस जगमोहन लाल सिन्‍हा के फैसले पर पूरे देश की नजर थी

बरेली जिला न्यायालय में वकालत से करियर का आगाज करने वाले 55 वर्षीय जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा पर पूरे देश की नजरें थीं। क्योंकि तीन जजों के इनकार करने के बाद वह इस मामले में फैसला सुनाने जा रहे थे। जस्टिस जगमोहन ठीक दस बजे अपने चेंबर से कोर्ट रूम में पहुंचे। याचिका में जो सात मुद्दे इंदिरा के खिलाफ गिनाए गए थे, उनमें से पांच में तो जस्टिस सिन्हा ने इंदिरा गांधी को राहत दे दी। दो पर उन्होंने इंदिरा को दोषी पाया। अदालत ने पाया कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत इंदिरा गांधी ने सरकारी साधनों का दुरुपयोग किया है। लिहाजा उन्हेंं अगले छह सालों तक लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लडऩे के अयोग्य ठहराया जाता है।

अदालत में पांच घंटे खड़ी रहीं इंदिरा गांधी

प्रोफेसर जेएस सिंह बताते हैं कि इस मुकदमे में पहली भारतीय प्रधानमंत्री अदालत में पेश हुईं। उन्हें करीब पांच घंटे तक सवालों के जवाब देने पड़े। इंदिरा गांधी और उनके समर्थकों को अंदाजा लगने लगा था कि फैसला उनके खिलाफ जा सकता है। ऐसे में जज को मनाने की कोशिश भी हुई लेकिन जस्टिस सिन्हा किसी दबाव में नहीं आए।

सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून 1975 में फैसला सुनाया

हालांकि इस फैसले के बाद इंदिरा गांधी सुप्रीम कोर्ट गईं। सुप्रीम कोर्ट के वैकेशन जज जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर ने 24 जून 1975 को फैसला सुनाया। इस फैसले के मुताबिक इंदिरा गांधी की लोकसभा सदस्यता चालू रह सकती थी। विपक्ष ने इंदिरा गांधी पर अपने हमले तेज कर दिए। इसके बाद जिस तरह के हालात पैदा होने लगे। इस फैसले के 13 दिन बाद ही इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की मध्य रात्रि से देश में आपातकाल लागू कर दिया था। आपातकाल के जरिए इंदिरा गांधी ने सभी विपक्षी नेताओं को जेल में ठूंस दिया। इसमें हाईकोर्ट से केस जीतने वाले राजनारायण के अलावा जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, जार्ज फर्नांडीस जैसे उस दौर के कई बड़े नेता भी शामिल रहे थे।


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