Move to Jagran APP

प्रयागराज के रेड लाइट एरिया मीरगंज में देह व्यापार कराने के 41 दोषियों को 10 से 14 साल कैद की सजा

बदनाम हो चुके रेड लाइट एरिया मीरगंज को खाली कराने और वहां अनैतिक काम में लिप्त महिलाओं तथा लड़कियों को मुक्त कराने के लिए अधिवक्ता तथा सामाजिक कार्यकर्ता सुनील चौधरी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद गुडि़या संस्था की ओर भी याचिका दाखिल की थी

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 05:11 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 06:22 PM (IST)
प्रयागराज के रेड लाइट एरिया मीरगंज में देह व्यापार कराने के 41 दोषियों को 10 से 14 साल कैद की सजा
देह व्यापार कराने के अपराध में जिला अदालत ने मंगलवार को 41 आरोपितों को सजा सुना दी

प्रयागराज, जेएनएन। तस्करी कर रेड लाइट एरिया मीरगंज में लाने के बाद लड़कियों से देह व्यापार कराने के अपराध में जिला अदालत ने मंगलवार को 41 आरोपितों को सजा सुना दी। पुरुषों को 14 तो दोषी महिलाओं को 10 साल कैद की सजा दी गई है। इन्हें 18 जनवरी को अपर सत्र न्यायाधीश रचना सिंह ने विशेष लोक अभियोजक आरपी सिंह, डीजीसी गुलाब चंद्र अग्रहरि, एडीजीसी अमित मालवीय और गुड़िया संस्था के अधिवक्ता गोपाल कृष्ण के तर्कों को सुनकर दोषी करार दिया था और सजा पर सुनवाई के लिए 25 जनवरी की तिथि नियत की थी।

loksabha election banner

जानिए क्या था पूरा मामला

वर्ष 2016 में पुलिस और प्रशासन ने कोतवाली थाना क्षेत्र के मीरगंज मोहल्ले में स्थित रेड लाइट एरिया पर कार्रवाई करते हुए करीब 200 लड़कियां, महिलाएं और बच्चों को राजकीय संरक्षण गृह भेजा था। फिर 48 लोगों के खिलाफ एफआइआर लिखी गई थी।

बदनाम हो चुके रेड लाइट एरिया मीरगंज को खाली कराने और वहां अनैतिक काम में लिप्त महिलाओं तथा लड़कियों को मुक्त कराने के लिए अधिवक्ता तथा सामाजिक कार्यकर्ता सुनील चौधरी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद गुडि़या संस्था की ओर भी याचिका दाखिल की थी। फिर हाईकोर्ट के आदेश पर एक मई 2016 को एसडीएम सदर की अगुवाई में रेड लाइट एरिया में कार्रवाई करते हुए पीड़िताओं को मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया गया था। प्रकरण में सरकार बनाम दुर्गा कामले सहित 48 आरोपितों के खिलाफ सत्र न्यायालय में विचारण किया गया। इन पर आरोप है कि मानव तस्करी के माध्यम से देश के कई हिस्सों के बालिग व नाबालिग लड़कियों को ले आकर उन्हें बंधक बनाया जाता था। फिर उनकी मर्जी के खिलाफ देह व्यापार कराया जाता था। उनकी खरीद-फरोख्त भी की जाती थी। पीड़िताओं ने अपने बयान में कहा था कि उन्हें उनके मूल स्थान से बहला-फुसलाकर व लालच देकर यहां ले आया गया। इसके बाद जबरन शारीरिक शोषण व देह व्यापार कराया जाता था। अदालत ने कुल 41 अभियुक्तों को अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956 और भारतीय दंड संहिता की धारा 370 व 373 के अपराध में दोष सिद्ध पाया है। आरोपितों में 33 महिलाएं हैं।

सजा सुनकर रोने लगे कोर्ट में मौजूद 37 आरोपित

सजा सुनाए जाने के दौरान 37 आरोपित कोर्ट में उपस्थित रहे। सजा सुनकर कुछ आरोपित फूटफूटकर रोने लगे। शासकीय अधिवक्ता फौजदारी गुलाब चंद्र अग्रहरि और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अमित मालवीय ने कहा कि कोर्ट ने अभियुक्तों पर लगाये गए आरोपों के अनुसार उनके आचरण के आधार पर सजा सुनाई है।

छह अभियुक्तों की हो चुकी मौत

मुकदमे की सुनवाई के दौरान छह अभियुक्तों की मौत हो गई, जबकि एक आरोपित फरार हो गया। इसके चलते उनकी पत्रावली अलग कर दी गई। इस मामले को शीघ्र निस्तारित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि प्रत्येक माह में कम से कम आठ दिन इस मामले की सुनवाई अवश्य की जाए।

अधीक्षिका को भी मिल चुकी है उम्रकैद

गुड़िया संस्था के अधिवक्ता गोपाल कृष्ण का कहना है कि 43 पीड़िताओं व बच्चों को राजकीय संरक्षण गृह महिला आगरा में आवासित कराया गया था। मगर तत्कालीन संरक्षण गृह की अधीक्षिका ने कई पीड़िताओं व बच्चों को फिर से मानव तस्करों के पास भेज दिया था। उस मामले में संरक्षण गृह की अधीक्षिका गीता राकेश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई। उन्हें मृत्युपर्यंत आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.