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COVID-19 से प्रयागराज के 40 शिक्षक व कर्मी हार गए जिंदगी की जंग, अब उनके परिवारों की कोई सुनने वाला नहीं

पीडि़त परिवारों के समक्ष आर्थिक संकट है। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के जिला संयुक्त मंत्री ने कहा कि कई शिक्षक ऐसे भी थे जो अपने परिवार के अकेले कमाने वाले थे। वह अब जिंदगी की जंग हार चुके हैं। उनके परिवारों के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 08:38 AM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 08:38 AM (IST)
COVID-19 से प्रयागराज के 40 शिक्षक व कर्मी हार गए जिंदगी की जंग, अब उनके परिवारों की कोई सुनने वाला नहीं
कोरोना संक्रमण से जिन शिक्षकों व कर्मचारियों की मौत हुई है, उनके परिवार को आर्थिक सहायता की मांग उठी है।

प्रयागराज, जेएनएन। कर्तव्य पालन के दौरान कोरोना संक्रमण के शिकार हुए शिक्षकों व कर्मचारियों को असाधारण पेंशन की मांग उठाई जाने लगी है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि 100 से अधिक शिक्षक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान संक्रमित हुए। इनमें से कई ने बीमारी की हालत में ड्यूटी तक की। जब कि वह अपनी समस्या विभाग के अफसरों को बताते रहे। उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।

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पंचायत ड्यूटी के बाद कई की हालत हुई गंभीर

शिक्षक संगठनों का कहना है कि चुनाव ड्यूटी के बाद इनमें से तमाम की हालत गंभीर हो गई। कुछ को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा तो कुछ ने घर में ही लंबा इलाज किया। इनमें से प्रयागराज जिले में 40 से अधिक अपनी जिंदगी की जंग हार गए। बावजूद इसके विभाग या स्थानीय प्रशासन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है।

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन आया आगे

पीडि़त परिवारों के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो चुका है। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के जिला संयुक्त मंत्री अफरोज अहमद ने बताया कि कई शिक्षक ऐसे भी थे जो अपने परिवार के अकेले कमाने वाले थे। वह अब जिंदगी की जंग हार चुके हैं। उनके परिवारों के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

जान गंवाने वाले शिक्षकों को एक करोड़ मुआवजा की मांग

शिक्षक नेताओं का कहना है कि जिन शिक्षकों व कर्मचारियों ने महामारी से जान गंवाई है उनके परिवार के लोगों को एक करोड़ रुपये की सहायता दी जाए। इसमें तमाम तरह के कागजात पूरे करने का भी प्रतिबंध न लगे। क्योंकि कई शिक्षकों ने इलाज कराया लेकिन कठिन समय में वह कागजात सुरक्षित नहीं रख सके। कुछ ने इलाज या जांच नहीं कराई लेकिन उनकी जान संक्रमण के चलते चली गई। इस बात को सिद्ध करना अब आसान नहीं है।


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