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सिविल लाइंस में टूटी 300 साल पुरानी परंपरा, नहीं उठेगा रामदल

सिविल लाइंस में इस बार दशहरा नहीं होगा। कमेटी ने यह निर्णय लिया है। इसके पीछे पुलिसिया कार्रवाई को जिम्मेदार माना गया है। व्यापारियों का कहना है कि यातायात पुलिस के अभियान से उनका व्यापार चौपट हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 08:58 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 06:22 AM (IST)
सिविल लाइंस में टूटी 300 साल पुरानी परंपरा, नहीं उठेगा रामदल
सिविल लाइंस में टूटी 300 साल पुरानी परंपरा, नहीं उठेगा रामदल

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : सिविल लाइंस में रामदल और दशहरा मनाए जाने से मेला कमेटी ने कदम पीछे खींच लिए हैं। गुरुवार शाम को सिविल लाइंस व्यापार मंडल के कार्यालय में हुई संयुक्त बैठक में निर्णय लिया गया कि रामदल और मेले का आयोजन नहीं कराया जाएगा। इससे 300 साल पुरानी परंपरा भी टूट गई है। व्यापारियों और मेला कमेटी ने इसके लिए यातायात पुलिस की कार्रवाई से व्यापार चौपट होना और शासन की लगातार अनदेखी को कारण बताया है।

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सिविल लाइंस का रामदल शुक्रवार को आयोजित किए जाने की तैयारी की गई थी। इसके लिए जरूरी इंतजाम भी किए जा चुके थे। लेकिन, गुरुवार को अचानक तैयारी रोक दी गई। सिविल लाइंस व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुशील खरबंदा और मेला कमेटी के अध्यक्ष विनोद चंद दुबे के संयुक्त नेतृत्व में अहम बैठक हुई। इसमें व्यापारी और मेला कमेटी के अन्य पदाधिकारी शामिल हुए। अध्यक्ष सुशील खरबंदा ने कहा कि चार माह से यातायात पुलिस सिविल लाइंस के सरदार पटेल मार्ग पर ही अभियान चला रही है। ग्राहकों की गाड़ियां क्रेन से उठाई जा रही हैं। इससे ग्राहक अब सिविल लाइंस आने से परहेज करने लगे हैं। सिविल लाइंस का व्यापार 80 प्रतिशत ठप हो गया है। ऐसे में व्यापारी सिविल लाइंस के मेले में आर्थिक सहयोग कर पाने में सक्षम नहीं हैं।

वहीं मेला समिति के अध्यक्ष विनोद चंद दुबे का कहना है कि सिविल लाइंस में अब मल्टीनेशनल कंपनियों के शॉपिंग मॉल खुल गए हैं। वहां से मेले के लिए आर्थिक सहयोग नहीं मिलता। स्थानीय व्यापारी ही हमेशा सहयोग करते आए हैं। लेकिन, इस बार वे अपने व्यापार को ही लेकर परेशानी में हैं। ऐसे में मेला का आयोजन कराना संभव नहीं है। बताया कि सिविल लाइंस में शुक्रवार को मेला और रामदल न कराने का निर्णय लिया गया।

व्यापार मंडल के महामंत्री शिवशंकर सिंह ने कहा कि सिविल लाइंस के मेले की 300 साल पुरानी परंपरा इस बार टूट रही है। इससे मन बहुत व्यथित है। कहा कि यह महज मेला ही नहीं बल्कि हम सभी के अस्तित्व का सवाल भी है। बैठक में रघुनाथ द्विवेदी, पार्षद अशोक सिंह, बलवीर कोहली, अमित सिंह, संदीप कात्यायल सहित दर्जनों अन्य व्यापारी शामिल रहे।


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