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Solid Waste Management: प्रयागराज में सूखे कूड़े के निस्तारण की समुचित व्यवस्था नहीं थी, अब होगी व्‍यवस्‍था

Solid Waste Management शहर में प्रतिदिन लगभग 450 से 500 टन कूड़ा निकलता है। कूड़ा निस्तारण के लिए बसवार में प्लांट है। हालांकि वहां गीले कूड़े एवं प्लास्टिक कचरे के निस्तारण की ही व्यवस्था है। सूखे कूड़े के निस्तारण के लिए समुचित प्रबंध नहीं है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 07:50 AM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 07:50 AM (IST)
Solid Waste Management: प्रयागराज में सूखे कूड़े के निस्तारण की समुचित व्यवस्था नहीं थी, अब होगी व्‍यवस्‍था
सूखे कूड़े के निस्तारण के लिए समुचित व्यवस्था की प्रयागराज में व्‍यवस्‍था की जा रही है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (सालिड वेस्ट मैनेजमेंट) की दिशा में प्रयागराज शहर में करीब एक दशक से ज्यादा समय से काम हो रहा है। हालांकि नगर निगम प्रशासन सूखे कूड़े के निस्तारण के लिए समुचित व्यवस्था नहीं कर सका। अब सूखे कूड़े के निस्तारण के लिए नैनी और झूंसी क्षेत्रों में मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटरों के निर्माण की कवायद शुरू हुई है। इसके लिए टेंडर निकाला जा चुका है। जल्द ही टेंडर फाइनल करके एजेंसी का चयन किया जाएगा।

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प्रयागराज शहर में प्रतिदिन 500 टन कूड़ा निकलता है

शहर में प्रतिदिन लगभग 450 से 500 टन कूड़ा निकलता है। कूड़ा निस्तारण के लिए बसवार में प्लांट है। हालांकि वहां गीले कूड़े एवं प्लास्टिक कचरे के निस्तारण की ही व्यवस्था है। सूखे कूड़े के निस्तारण के लिए समुचित प्रबंध नहीं है। सारा कूड़ा बसवार प्लांट भेजा जाता है लेकिन उसमें सब मिला होता है। कूड़े में से लगभग 30 प्रतिशत कचरे का रिफ्यूल्ड डेराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ) बनता है, जिसका प्रयोग पावर एवं सीमेंट प्लांटों में ईंधन के लिए होता है। करीब 25 से 30 प्रतिशत कूड़े में नमी होने से शोधन के समय वह सूख जाता है। तकरीबन 15 प्रतिशत गीले कचरे से जैविक खाद बनती है। जैविक खाद किसानों को बेचा जाता है। लगभग दो टन क्षमता के प्लास्टिक कचरे के प्लांट से बायो फ्यूल बनता है। इसका प्रयोग सड़कों के निर्माण में होता है। बाकी जो कूड़ा बचता है, न उसकी खाद और न ही आरडीएफ बन सकता है। इसलिए गड्ढों की भराई के लिए उसका इस्तेमाल होता है।

सूखे कूड़े के निस्‍तारण को एमआरएफ सेंटर जल्‍द बनेंगे

सूखे कूड़े की छटाई एवं निस्तारण के लिए नैनी और झूंसी में एमआरएफ सेंटरों का निर्माण जल्द होना है। फाफामऊ में भी एमआरएफ सेंटर का निर्माण प्रस्तावित है। नगर आयुक्त रवि रंजन ने भी माना है कि सूखे कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था ठीक नहीं है। एमआरएफ सेंटरों के क्रियाशील होने से यह समस्या दूर हो जाएगी। पर्यावरण अभियंता उत्तम वर्मा ने बताया कि एमआरएफ सेंटरों के लिए टेंडर डालने की अंतिम तिथि 26 नवंबर है। टेंडर फाइनल होने के बाद एमआरएफ सेंटरो का निर्माण शुरू करा दिया जाएगा।

मलबे से जल्द बनने लगेंगी ईंटें

मलबा निस्तारण के लिए बसवार में ही करीब दो टन क्षमता का प्लांट लगा है। प्लांट का ट्रायल चल रहा है। जल्द ही प्लांट चालू हो जाएगा। इससे शहर में इधर-उधर पड़े मलबे का समुचित ढंग से निस्तारण होने लगेगा। मलबे से ईंटों का निर्माण होगा।


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