Narendra Giri Death Mystery: किसी के गले नहीं उतर रहा कि महंत ने कैसे लिख डाला आठ पेज का सुसाइड नोट
Narendra Giri Death Mystery महंत नरेंद्र गिरि को बहुत कम ही लोगों ने लिखते हुए देखा था। अक्सर लिखवाए गए बयान अथवा महत्वपूर्ण दस्तावेज पर सिर्फ हस्ताक्षर करते थे। बहुत जरूरी होने पर ही दो-चार लाइन लिखते थे। हमेशा सेवादार और शिष्यों से लिखवाते थे। वह बोलते तथा शिष्य लिखते।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से मिला आठ पेज का सुसाइड नोट सवालों में है। सेवादार और शिष्यों का साफ कहना है कि महराज (महंत नरेंद्र गिरि) दो लाइन भी नहीं लिखते थे। जब कुछ लिखवाना होता, किसी न किसी शिष्य को बुलवाते थे। ऐसे में आठ पेज का सुसाइड नोट उन्होंने कब और कैसे लिख डाला, यह गले नहीं उतर रहा है।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि कम ही लिखते थे
महंत नरेंद्र गिरि को बहुत कम ही लोगों ने लिखते हुए देखा था। अक्सर लिखवाए गए बयान अथवा महत्वपूर्ण दस्तावेज पर सिर्फ हस्ताक्षर करते थे। बहुत जरूरी होने पर ही दो-चार लाइन लिखते थे। हमेशा अपने सेवादार और शिष्यों से लिखवाते थे। वह बोलते तथा शिष्य लिखते। फिर शिष्यों से उसे पढ़वाते। कुछ सेवादारों और शिष्यों का कहना है कि जो सुसाइड नोट पुलिस को कमरे से मिला है, उसे तो महाराज जी कतई नहीं लिख सकते। वह दो-चार लाइन ही लिख पाते थे तो आठ पन्ने का सुसाइड नोट कैसे लिख डाला? यह सुसाइड नोट किसी और ने लिखा है। इसकी पूरी जांच होनी चाहिए।
सेवादार बबलू व सुमित उठा सकते हैं सच्चाई से पर्दा
महंत नरेंद्र गिरि की मौत की सच्चाई से पर्दा उनके प्रमुख सेवादार बबलू और सुमित ही उठा सकते हैं। अब तक की छानबीन में पुलिस को उनकी भूमिका संदिग्ध मिली है। इस आधार पर अन्य शिष्यों से भी उनके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस को पूछताछ में पता चला है कि महंत ने रविवार को ही रस्सी मंगाई थी। उन्होंने सेवादार बबलू से कहा था कि कपड़ा सुखाने के लिए नायलान की रस्सी की आवश्यकता है। इसके बाद बबलू बाजार गया और रस्सी ले आया। हालंकि अभी यह साफ नहीं है कि रस्सी किस दुकान से और कितने रुपये में खरीदी गई थी।
नरेंद्र गिरि के कक्ष के बाहर बबलू और सुमित सबसे पहले पहुंचे
पुलिस को यह भी पता चला है कि महंत नरेंद्र गिरि सोमवार को जब अपने कक्ष से बाहर नहीं आए तो सबसे पहले बबलू और सुमित भी गए थे। इन्होंने ही दरवाजा खोला और फिर शव को फंदे से नीचे उतारा। ऐसा पुलिस का कहना है। कुछ शिष्यों से पूछताछ में यह बात भी सामने आई अपने कक्ष में जाने से पहले महंत ने कहा था कि उनका मोबाइल बंद रहेगा और कोई दरवाजा नहीं खटाएगा। मगर कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब अभी तक पुलिस तलाश रही है। उधर, महंत की मौत के बाद मठ में घंटों अफरा-तफरी मची रही। तमाम शिष्यों को समझ में ही नहीं आ रहा था कि यह सब क्या और कैसे हो गया।
नोएडा के शराब कारोबारी को बनवाया था महामंडलेश्वर
नोएडा निवासी शराब कारोबारी सचिन दत्ता को महंत नरेंद्र गिरि ने निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर की उपाधि दिलवाई थी। श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी में पट्टाभिषेक समारोह का आयोजन हुआ था। मौजूद संतों व सचिन दत्ता पर हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा भी कराई गई थी। मगर बाद में उनकी उपाधि को लेकर विवाद हुआ तो पद से हटा दिया गया था।