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Family Planning: प्रयागराज में नसबंदी कराकर कौम के लिए नजीर बने कासिम अली

तेलियरगंज में किराए के कमरे में रहकर परिवार पाल रहे कासिम अली 38 वर्ष पुत्र बरकत अली कामगार श्रमिक हैं। वैसे उनका मूल निवास रायबरेली के ऊंचाहार स्थित मोहा गांव में है। चार संतान हैं जिसमें बड़ा बेटा 16 साल का और सबसे छोटा पांच साल का है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 06:50 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 07:28 PM (IST)
Family Planning: प्रयागराज में नसबंदी कराकर कौम के लिए नजीर बने कासिम अली
तेलियरगंज की एएनएम के साथ दंपती खुद पहुंचे थे नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दारागंज

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। परिवार छोटा हो तो जीवन खुशहाल हो सकता है। फिर चाहे गुजर बसर अमीरी में हो रही हो या मुफलिसी में। देश की जनसंख्या स्थिरता के लिए यह जरूरी भी है। निरक्षर लेकिन जागरूक नागरिक कासिम अली ने इस मूलमंत्र को गहराई से जाना और नसबंदी कराकर अपने परिवार, बिरादरी के लिए नजीर पेश की। कासिम की बेगम रहमनुन भी नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दारागंज पहुंची थीं। अस्पताल के स्टाफ ने भी इस दंपती के निर्णय की सराहना की।

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एएनएम से मिली परिवार छोटा रखने की प्रेरणा

तेलियरगंज में किराए के कमरे में रहकर परिवार पाल रहे कासिम अली 38 वर्ष पुत्र बरकत अली, कामगार श्रमिक हैं। वैसे उनका मूल निवास रायबरेली के ऊंचाहार स्थित मोहा गांव में है। तीन साल से वह यहीं रह रहे हैं। चार संतान हैं जिसमें बड़ा बेटा 16 साल का और सबसे छोटा पांच साल का है। इनके बीच दो बेटियां हैं। दंपती ने कोरोना रोधी वैक्सीन का टीका जुलाई माह में ही टीबी अस्पताल केंद्र जाकर लगवाया। वहीं एएनएम रीता दुबे से उन्हें परिवार छोटा ही रखने की प्रेरणा मिली। कासिम जनसंख्या नियंत्रण नीति से भी प्रेरित हैं। कहते हैं कि जो नसबंदी पर ऐतराज जताते हैं वह गुमराह हैं और किसी के परिवार की गुजर बसर नहीं कर देंगे। अपना परिवार खुद पालना होता है इसलिए छोटा परिवार ही सुखी रह सकता है।

कासिम ने बीती 14 जुलाई को नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर अपनी नसबंदी कराई। उनकी बेगम रहमनुन की भी इसमेें पूरी सहमति थी। यह दंपती खुद तो पढ़ाई लिखाई नहीं कर सका लेकिन अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे हैं। कहते हैं कि बच्चे किसी तरह लायक बन जाएं, यही एक तमन्ना रह गई है।

देश के प्रति निभाई है जिम्मेदारी

नसबंदी के बारे में कासिम को पहले से काफी कुछ जानकारी थी। इसके फायदे से भी वे वाकिफ थे। वैसे तो इस्लाम धर्म के मानने वाले अन्य कई लोग भी नसबंदी करा चुके हैं लेकिन, इस दंपती ने निरक्षर होते हुए भी देश के प्रति जिम्मेदारी निभाई, यह बड़ी बात है।

- डा. अनिल कुमार, प्रभारी चिकित्साधिकारी नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दारागंज


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