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World Thalassemia Day 2021: शिशुओं में थैलेसीमिया के शुरुवाती लक्षणों को नजरअंदाज न करें, जानें-विशेषज्ञों के टिप्‍स

World Thalassemia Day 2021 थैलेसीमिया एक रक्त रोग है। यह माता-पिता से बच्चों में आनुवांशिक तौर पर हो सकता है। शिशु को जन्म देने वाली मां के शरीर में मौजूद क्रोमोसोम खराब होने पर माइनर थैलेसीमिया के लक्षण दिखते हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 09:19 AM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 09:19 AM (IST)
World Thalassemia Day 2021: शिशुओं में थैलेसीमिया के शुरुवाती लक्षणों को नजरअंदाज न करें, जानें-विशेषज्ञों के टिप्‍स
थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए अवश्य करें रक्तदान। पीड़ित बच्चों को बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रति वर्ष अनेक शिशुओं की जान थैलेसीमिया बीमारी के कारण चली जाती है। इस बीमारी का फैलाव अधिक न हो, इसके लिए हमें हर तीसरे महीने अपने रक्त की जांच करवानी चाहिए। साथ ही अगर माता-पिता या इनमें से कोई एक थैलेसीमिया से पीड़ित हैं तो गर्भावस्था में शुरू के 3 माह से पूर्व व 4 माह के भीतर गर्भ में पल रहे बच्चे का थैलेसीमिया परीक्षण करना बहुत ही जरूरी है।

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थैलेसीमिया बीमारी के प्रति जागरूकता ही बचाव है

थैलेसीमिया एक रक्त रोग है। यह माता-पिता से बच्चों में आनुवांशिक तौर पर हो सकता है। शिशु को जन्म देने वाली मां के शरीर में मौजूद क्रोमोसोम खराब होने पर माइनर थैलेसीमिया के लक्षण दिखते हैं। पर मां व पिता दोनों के शरीर में मौजूद क्रोमोसोम खराब होने पर मेजर थैलेसीमिया होने की संभावना बढ़ जाती है। थैलेसीमिया बीमारी के प्रति जागरूकता ही इसका सबसे असरदार बचाव है। यदि शादी से पहले पति व पत्नी के रक्त की जांच करवाई जाए तो इस रोग की पहचान की जा सकती है और बीमारी से ग्रसित बच्चे के जन्म को रोका जा सकता है।

ये हैं शिशु में थैलेसीमिया के शुरुवाती लक्षण

वजन न बढ़ना, हमेशा बीमार नजर आना, कमजोरी, नाखून और जीभ पीले पड़ना, जबड़े और गाल का असामान्य होना, कुपोषित लगना, चेहरा सूखा रहना, वजन का न बढ़ना, सांस लेने में तकलीफ होना, पीलिया होने का भम्र होना आदि।

बार-बार खून चढाने की आवश्यकता पड़ती है

इस रोग में शरीर लाल रक्त कण / रेड ब्लड सेल (आरबीसी) नहीं बना पाता है। जो थोड़े बन भी जाते हैं तो वह सिर्फ कुछ समय के लिए ही होते हैं। थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को बार-बार खून चढाने की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में इस बीमारी में बच्चा अनीमिया का शिकार हो जाता है। बार-बार खून नहीं चढ़वाने से शिशु की मृत्यु हो सकती है। 

कॉल्विन हॉस्पिटल के ब्लड बैंक काउंसलर की सलाह

कॉल्विन हॉस्पिटल के ब्लड बैंक काउंसलर सुशील तिवारी ने बताया कि थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों को रक्त की आवश्यकता हमेशा पड़ती रहती हैं। उनके पास हर बार रक्तदाता होना संभव नहीं है। इसलिए रोग की गंभीरता को देखते हुए मरीज़ को बिना रक्तदाता के ही रक्त उपलब्ध करवाया जाता है। ऐसे में अगर आप स्वस्थ हैं व रक्त दान करना चाहें तो प्रति वर्ष कम से कम दो बार ऐच्छिक रक्त दान अवश्य करें। ताकि आपके दिए हुए इस अनमोल दान से किसी बच्चे के जीवन को बचाया जा सके।


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