Move to Jagran APP

Tuberculosis: क्षय रोग से मुक्त करने में प्रयागराज के निजी चिकित्सालय भी दिखा रहे दम, जागरूकता अभियान भी

Tuberculosis सीएमओ के अनुसार क्षय रोग बहुत तेज़ी से फैलती है। जितनी जल्दी इस रोग की पहचान होती है उतनी जल्दी मरीज का उपचार शुरू हो जाता है। यदि टीबी का उपचार समय से शुरू किया जाए और उपचार पूरा किया जाए तो मरीज पूरी तरह स्‍वस्‍थ हो सकता है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 10:03 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 10:03 AM (IST)
Tuberculosis: क्षय रोग से मुक्त करने में प्रयागराज के निजी चिकित्सालय भी दिखा रहे दम, जागरूकता अभियान भी
प्रयागराज में क्षय रोग की रोकथाम के लिए सरकारी के साथ निजी अस्‍पताल भी सक्रिय हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। भारत को टीबी मुक्त करने के लिए केंद्र सरकर ने 2025 का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकारी तथा गैरसरकारी दोनों ही स्तर पर कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में जिले में सरकारी चिकित्सा संस्थानों के साथ ही प्राइवेट संस्थान भी इस अभियान में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही क्षय रोग पर जागरूकता के लिए टीबी चैंपियन, ट्रीटमेंट सपोर्टर के साथ सामाजिक संस्थाएं भी कार्य कर रही हैं।

loksabha election banner

सीएमओ ने कहा-सरकारी अस्‍पतालों में मरीजों के लिए है सुविधा

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. प्रभाकर राय ने बताया कि क्षय रोग एक ऐसी बीमारी है, जो बहुत तेज़ी से फैलती है। जितनी जल्दी इस रोग की पहचान होती है, उतनी जल्दी मरीज का उपचार शुरू हो जाता है। यदि टीबी का उपचार समय से शुरू किया जाए और उपचार पूरा किया जाए तो मरीज पूरी तरह स्‍वस्‍थ हो सकता है। टीबी को जड़ से ख़त्म करने के लिए हम सभी मिल कर प्रयास कर रहे हैं। टीबी मरीजों की जांच व उपचार के लिए सरकारी चिकित्सालयों में सुविधा उपलब्ध है। साथ ही टीबी मरीजों की पहचान के लिए प्राइवेट फार्मेसी, लैब्स, क्लिनिक, डायग्नोस्टिक सेंटर्स और चिकित्सलयों से सहयोग लिया जा रहा है।

बोले, जिला क्षय रोग अधिकारी

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एके तिवारी ने बताया कि वर्तमान में 744 प्राइवेट संस्थान निक्षय पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं। टीबी मरीजों के उपचार के लिए करीब 450 चिकित्सक और नर्सिंग होम्स तत्‍पर हैं और मरीजों काे  दवा दे रहे हैं। डॉ. तिवारी ने बताया कि सरकार की योजना है कि टीबी मरीजों को उनके घर के नज़दीक ही उपचार और जांच की सुविधा मिल सके। इसके लिए सरकारी के साथ ही प्राइवेट चिकित्सकों को अभियान से जोड़ा गया है।

निजी चिकित्‍सकों को इनाम भी मिलता है

इस अभियान के अंतर्गत टीबी रोग की पहचान करने वाले प्राइवेट चिकित्सक को प्रोत्साहन स्वरुप 500 रुपये प्रति मरीज दिए जाते हैं। इसके बाद जब उपचार होने पर मरीज ठीक हो जाता है तो चिकित्सक को पुनः 500 रुपये दिए जाते हैं।

उन्होंने बताया की मरीज़ चाहे सरकारी चिकित्सालय में उपचार करवाए चाहे प्राइवेट में, यदि उसका पंजीकरण निक्षय पोर्टल पर होता है तो जब तक उसका उपचार चलता है मरीज़ को पांच सौ रूपए हर माह पोषण के लिए उसके बैंक खाते में दिए जाते हैंI

जनवरी 2021 में सरकारी चिकित्सलयों से 749 और प्राइवेट चिकित्सालयों से 455 मरीज़ चिन्हित किये गए हैं।पिछले वर्ष 2020 में सरकारी चिकित्सलयों से 7164 और प्राइवेट चिकित्सालयों से 4381 मरीज़ पंजीकृत हुए थें।इस वर्ष सरकारी चिकित्सालयों से 10 हजार और प्राइवेट संस्थानों से 8 हजार मरीजों के चिन्हीकरण का लक्ष्य है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.