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आखिरकार रामचंद्र के पेंशन का हुआ निर्धारण, एक शासनादेश का हवाला देकर उनकी 35 साल की सेवा अवैध दे दी गई थी करार

नगर निगम के कर्मशाला विभाग से पिछले वर्ष सेवानिवृत्त हुए सफाईकर्मी रामचंद्र की पेंशन मिलने का रास्ता आखिरकार साफ हो गया। नगर आयुक्त रवि रंजन द्वारा उसकी पेंशन स्वीकृति कर देने के बाद लेखा विभाग से भी गुरुवार को पेंशन का निर्धारण कर दिया गया।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 07:00 AM (IST)
आखिरकार रामचंद्र के पेंशन का हुआ निर्धारण, एक शासनादेश का हवाला देकर उनकी 35 साल की सेवा अवैध दे दी गई थी करार
2002 के एक शासनादेश का हवाला देते हुए उसकी सेवा अवैध करार दे दी गई थी।

प्रयागराज, जेएनएन। नगर निगम के कर्मशाला विभाग से पिछले वर्ष सेवानिवृत्त हुए सफाईकर्मी रामचंद्र की पेंशन मिलने का रास्ता आखिरकार साफ हो गया। नगर आयुक्त रवि रंजन द्वारा उसकी पेंशन स्वीकृति कर देने के बाद लेखा विभाग से भी गुरुवार को पेंशन का निर्धारण कर दिया गया। 35 साल तक सेवा के बाद नियुक्ति अवैध करार देने के इस मसले को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था जिसके बाद हलचल मच गई।

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नगर आयुक्त के पास करने के बाद लेखा विभाग ने भी दी स्वीकृति

रामचंद्र पुत्र गोपी की नियुक्ति दो सितंबर 1985 को निगम में हुई थी। 28 मई 2013 और 15 दिसंबर 2015 को उसे एसीपी का लाभ दिया गया था। 25 जुलाई 2018 को प्रोन्नति वेतनमान भी दिया गया था। चौथे, पांचवें, छठवें और सातवें वेतन का भी निर्धारण किया गया था। लेकिन, 31 जुलाई 2020 को सेवानिवृत्त होने पर पेंशन निर्धारण की फाइल अधिष्ठान विभाग से लेखा विभाग भेजी गई तो 2002 के एक शासनादेश का हवाला देते हुए उसकी सेवा अवैध करार दे दी गई थी।

जागरण ने उठाया मसला तो मिला न्याय

इस प्रकरण को 'दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जब अधिष्ठान विभाग ने शासनादेश की कापी लेखा विभाग से मंगाई तो वह आदेश एक नगर पालिका के एक कर्मचारी से संबंधित था। जनरल आदेश न होने का हवाला देते हुए अधिष्ठान विभाग द्वारा फाइल नगर आयुक्त कार्यालय भेज दी गई थी। अधिकारियों का कहना है कि नगर आयुक्त द्वारा रामचंद्र की पेंशन पास कर देने के बाद लेखा विभाग ने भी अपनी स्वीकृति दे दी है। 


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