Amroha Massacre : शबनम का आशिक सलीम नैनी जेल में हुआ गुमसुम, प्रेमिका को फांसी देने की तैयारी की खबर से है बेचैन
Amroha Massacre शबनम के सुर्खियों में आने के बाद जेल में सलीम की चर्चा भी शुरू हो गई है। उसे भी फांसी की सजा सुनाई गई है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति कार्यालय में लंबित है। सलीम को 27 सितंबर 2018 को नैनी सेंट्रल जेल में निरुद्ध किया गया था।
प्रयागराज,जेएनएन। अमरोहा में हुए सामूहिक नरसंहार की गुनहगार शबनम को फांसी दिए जाने की तैयारी सुन यहां सेंट्रल जेल में बंद उसका आशिक सलीम बेचैन हो चला है। हाई सिक्योरिटी बैरक में कैद सलीम गुमसुम रहने लगा है। वह बैरक से कभी बाहर भी निकलता है तो किसी से कुछ नहीं बोलता। किसी कैदी के कुरेदने पर इतना ही कहता है, खुदा की जो मर्जी होगी वही होगा। उसकी अदालत के आगे सभी नतमस्तक है।
27 सितंबर 2018 से नैनी सेंट्रल जेल में है निरुद्ध
शबनम के सुर्खियों में आने के बाद जेल में सलीम की चर्चा भी शुरू हो गई है। उसे भी फांसी की सजा सुनाई गई है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति कार्यालय में लंबित है। सलीम पुत्र अब्दुल रऊफ को 27 सितंबर 2018 को नैनी सेंट्रल जेल में निरुद्ध किया गया था। बढ़ई का काम करने वाला सलीम कम पढ़ा लिखा था, मगर सलाखों के पीछे उसने हिंदी व अंग्रेजी सीखी। वह ज्यादातर समय आध्यात्मिक साहित्य पढ़ता है। कुरान की आयतें बोलता है। कुछ लिखता भी रहता है, जिसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताता। प्रेमिका शबनम को फांसी दिए जाने की तैयारी की जानकारी उसे उन कैदियों से मिली थी जो जेल में लगे टेलीविजन पर समाचार देखते हैैं और अखबार पढ़ते हैैं। जेल अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल सलीम किसी से कोई बात जल्दी नहीं करता। उसकी सुरक्षा पहले से बढ़ा दी गई है।
यह था मामला
अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव में वर्ष 2008 में शबनम ने सलीम के साथ मिलकर अपने माता-पिता समेत परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी थी। दोनों को फांसी की सजा सुनाई गई है। शबनम की दया याचिका राष्ट्रपति कार्यालय से नामंजूर हो चुकी है, जबकि सलीम की याचिका लंबित है। शबनम मथुरा की जेल में बंद है। वहां उसकी फांसी के लिए तैयारी चल रही है।