Freedom movement of India : नैनी जेल में बंद रहे पिता-पुत्र और पौत्री यानी मोतीलाल, जवाहर लाल नेहरू एवं इंदिरा गांधी
नैनी केंद्रीय जेल आजादी के आंदोलन का साक्षी रहा है। इस जेल में स्वाधीनता आंदोलन के कई नायक बंद रहे। नैनी जेल में पिता-पुत्र एवं पोती के बंद होने का इतिहास भी पन्नों में दर्ज है। यह पिता-पुत्र एवं पोती मोती लाल नेहरू जवाहर लाल नेहरू एवं इंदिरा गांधी थे।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज का नैनी केंद्रीय जेल आजादी के आंदोलन का साक्षी रहा है। इस जेल में स्वाधीनता आंदोलन के कई नायक बंद रहे। नैनी जेल में पिता-पुत्र एवं पोती के बंद होने का इतिहास भी पन्नों में दर्ज है। यह पिता-पुत्र एवं पोती मोती लाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू एवं इंदिरा गांधी थे। पिता-पुत्र मोती लाल एवं जवाहर लाल नेहरू को एक साथ गिरफ्तार किया गया था। हालांकि तब दोनों को ही लखनऊ जेल भेजा गया था। बाद में मोती लाल नेहरू को नैनी जेल भेज दिया गया था। आजादी मिलने के बाद जवाहर लाल
नेहरू एवं इंदिरा गांधी ने देश का नेतृत्व किया था।
1922 में गिरफ्तार हुए थे जवाहर लाल नेहरू
यूइंग क्रिश्चयन कालेज में इतिहास विभाग के अध्यक्ष रहे प्रो.विमल चंद्र शुक्ला बताते हैं कि आजादी के आंदोलन में एक ही परिवार के तीन सदस्यों के नैनी जेल में बंदी रहने की बात कम मिलती है। पंडित जवाहर लाल नेहरू को 19 मई 1922 को लोगों को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लखनऊ जेल भेज दिया गया था। मोती लाल नेहरू भी इसी जेल में बंदी थे। पिता-पुत्र को असहयोग आंदोलन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उस समय अंग्रेजी शासन दमनकारी नीति पर चल रही थी। प्रो.शुक्ला बताते हैं कि मोतीलाल नेहरू और जवाहर लाल नेहरू लखनऊ जेल में कुछ दिन एक साथ रहे थे। बाद में मोतीलाल को लखनऊ जेल से नैनी जेल में भेज दिया गया था।
फिरोज गांधी भी नैनी जेल में रहे बंदी
इतिहासकार प्रो.विमल चंद्र शुक्ला बताते हैं कि इंदिरा गांधी एवं उनके पति फिरोज गांधी को भी नैनी जेल में 11 सितंबर 1942 को रखा गया था। 13 मई 1943 को इनको यहां से रिहा किया गया था। नेहरू परिवार का आजादी के आंदोलन में बड़ा योगदान था।
मदन मोहन मालवीय भी नैनी जेल में लाए गए थे
प्रो.शुक्ला बताते हैं कि आजादी के आंदोलन में मदन मोहन मालवीय भी गिरफ्तार करके नैनी जेल लाए गए थे। 13 सितंबर 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने पर अंग्रेजों ने मदन मोहन मालवीय को दिल्ली से गिरफ्तार करके नैनी जेल भेज दिया था। हालांकि उन्हें दस दिन बाद यानी 23 सितंबर को ही जेल से रिहा कर दिया गया था। इसी जेल में धर्मवीर भारती को भी रखा गया था। तब जेल में बंद लोगों से मिलने के लिए समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया भी आए थे।