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murder Mystery Prayagraj: 24 घंटे में पर्दाफाश करने का दावा करने वाली प्रयागराज पुलिस डॉ. बंसल हत्याकांड में फेल

सरेशाम चेंबर में घुसकर डॉ. बंसल की गोली मारकर हत्या की और फिर हत्यारे पुलिस को खुलेआम चुनौती देते हुए फरार हो गए। इस हाईप्रोफाइल हत्या की छानबीन शुरू की तो पता चला कि डॉ. बंसल का प्रयागराज से लेकर कई शहर में रहने वाले लोगों से विवाद है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 07:00 AM (IST)
murder Mystery Prayagraj: 24 घंटे में पर्दाफाश करने का दावा करने वाली प्रयागराज पुलिस डॉ. बंसल हत्याकांड में फेल
डॉ. एके बंसल हत्याकांड के मामले में पुलिस से लेकर स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) तक फंसी हुई है।

केस - 1

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14 मई 2020 को धूमनगंज थाना क्षेत्र के प्रीतम नगर मुहल्ले में कारोबारी तुलसीराम, उसकी पत्नी किरण, बेटी गुड़िया और बहू प्रियंका की गोली मारकर हत्या की गई। पुलिस ने 24 घंटे के भीतर वारदात का पर्दाफाश करते हुए तुलसीराम के बेटे आतिश केसरवानी और दूसरे आरोपितों को गिरफ्तार किया। 

केस- 2

19 अगस्त 2019 को धूमनगंज के ही चौफटका मुहल्ले में जमीन विवाद में अजीत, लालू और किरण की गोली व धारदार हथियार से हत्या की गई। इस मामले में भी पुलिस ने 24 घंटे के भीतर आरोपितों को गिरफ्तार करते हुए घटना का अनावरण किया। कई पुलिसर्किमयों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई थी। 

केस- 3

21 मार्च 2018 को करेली के शम्स नगर में सलमा बेगम, उसकी बेटी एना र्मिजया और पिता मो. यूनुस की धारदार हथियार से कत्ल किया गया था। परिवार के तीन सदस्यों की हत्या से सनसनी फैल गई थी। पुलिस ने उसी दिन सलमा के पति सौरभ उर्फ उस्मान को गिरफ्तार कर पर्दाफाश किया।

केस- 4 

28 दिसंबर 2017 को धूमनगंज इलाके में पुलिस के मुखबिर रवि पासी को दौड़ाकर हमलावरों ने गोली मारी थी। पुलिस ने इस मामले का भी जल्द ही पर्दाफाश करते हुए आफताब को गिरफ्तार किया। इसके बाद फरार अभियुक्त राशिद और आमिर भुट्टो की गिरफ्तारी कुछ दिन बाद हुई थी।

प्रयागराज, जेएनएन। उपर दिए गए चार हत्याकांड यह बताने के लिए काफी है कि पुलिस ने कितनी तत्परता से काम किया। वारदात वाले ही दिन न केवल कारण का पता लगाया बल्कि हत्यारोपित और हत्या की साजिश रचने वालों को भी दबोच लिया। मगर डॉ. एके बंसल हत्याकांड के मामले में पुलिस से लेकर स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) तक फंसी हुई है। विवेचना, तलाश, छापेमारी, सुरागरसी करते-करते चार साल का लंबा वक्त बीत गया, लेकिन अब तक न कातिलों का पता चला और न ही कत्ल का प्लान तैयार करने वालों का। 

बड़े विवादों के इर्द-गिर्द ही होती रही तफ्तीश

सरेशाम चेंबर में घुसकर डॉ. बंसल की गोली मारकर हत्या की और फिर हत्यारे पुलिस को खुलेआम चुनौती देते हुए फरार हो गए। इस हाईप्रोफाइल हत्या की छानबीन शुरू की तो पता चला कि डॉ. बंसल का प्रयागराज से लेकर कई शहर में रहने वाले लोगों से विवाद है। किसी से पैसे के लेनदेन का है तो किसी से कॉलेज और जमीन का झगड़ा चल रहा था। यह भी तथ्य सामने आया था कि जिनके खिलाफ डॉ. बंसल से मुकदमा कराया और उच्चाधिकारियों से शिकायत पर कार्रवाई हुई थी। पुलिस और एसटीएफ एक-एक विवाद की तह तक गई। कुछ में लीड मिली तो कई मामले की कहानी आगे जाकर रुक गई। करीब डेढ़ माह तक पुलिस, क्राइम ब्रांच और एसटीएफ की टीमें जल्द पर्दाफाश करने का दावा करती रहीं, लेकिन बाद में ढांक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ हुई। पर्दाफाश न होने के पीछे एक वजह यह भी कही जा रही है कि विवेचकों को सही मागदर्शन नहीं मिला, जो पुलिस कप्तान और उच्चाधिकारियों की जिम्मेदारी मानी जाती है। एसएसपी शलभ माथुर के कार्यकाल में घटना हुई थी। उसके बाद कई और एसएसपी आए और चले गए। 

इनके कार्यकाल में नहीं खुला केस 

-एसएसपी शलभ माथुर, आनंद कुलकर्णी, नितिन तिवारी, अतुल शर्मा, सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, अभिषेक दीक्षित। अब सर्वेश्रेष्ठ त्रिपाठी के मार्गदर्शन में विवेचना हो रही है। 


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