Dr AK Bansal Murder Mystery Prayagraj: किसने और क्यों कराया कत्ल, चार साल से बना है गहरा राज
12 जनवरी 2017 की शाम सात बजे रात बेखौफ शूटरों ने 59 वर्षीय जीवन ज्योति अस्पताल के निदेशक व प्रसिद्ध सर्जन डॉ. एके बंसल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। चैंंबर में घुसकर हमलावर ने पिस्टल से तीन गोलियां चलाईं जिसमें दो सिर में लगीं थीं।
प्रयागराज, जेएनएन। दिन, महीने और साल गुजर गए, लेकिन प्रयागराज के चर्चित डॉ. एके बंसल हत्याकांड का पर्दाफाश आज तक नहीं हो सका। सनसनीखेज वारदात का अनावरण तो दूर पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) कातिलों के बारे में सही सुराग भी नहीं जुटा सकी। चार साल बाद भी हत्याकांड की गुत्थी उलझी होने से पीड़ति परिवार सशंकित है और न्याय की गुहार लगा रहा है।
12 जनवरी 2017 को चेंबर में घुसकर हुई थी हत्या
12 जनवरी 2017 की शाम सात बजे रात बेखौफ शूटरों ने 59 वर्षीय जीवन ज्योति अस्पताल के निदेशक व प्रसिद्ध सर्जन डॉ. एके बंसल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। चैंंबर में घुसकर हमलावर ने पिस्टल से तीन गोलियां चलाईं, जिसमें दो सिर में लगीं थीं। फायरिंग कर हमलावर पीछे के रास्ते से निकल भागे। वारदात रामबाग स्थित अस्पताल के 24 नंबर चैंबर में मरीजों को देखने के दौरान हुई। तब चेंबर में मरीज बैजनाथ और मीना कुमारी थीं। इसी बीच पैंट-शर्ट और जैकेट पहने एक शूटर पहुंचा। उसका साथी बाहर ही रुक गया। सफेद मफलर पहने शूटर ने करीब पहुंच कर पिस्टल से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर की। इससे अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई थी। डॉक्टरों ने एके बंसल को काफी बचाने का प्रयास किया, लेकिन रात 10 बजे उनकी मौत हो गई थी। तत्कालीन एसएसपी शलभ माथुर, एसपी सिटी डॉ. विपिन टाडा ने पुलिस, क्राइम ब्रांच के साथ कई पहलुओं पर जांच की। प्रयागराज से लेकर आसपास के जिले के बदमाशों व शूटरों का कनेक्शन खंगाला गया, मगर नतीजा शून्य रहा। पुलिस की नाकामी के चलते डॉक्टरी पेशे से जुड़े लोग आज भी उस घटना को याद का सिहर जाते हैं। पुलिस कई साल से केवल लगातार विेवचना करने का दावा कर रही है, लेकिन सफलता तक नहीं पहुंच रही है।
सीबीआइ जांच का अनुरोध भी ठंडे बस्ते में
पुलिस और एसटीएफ के नाकाम होने पर डॉ. एके बंसल की पत्नी डॉ. वंदना बंसल ने घटना की जांच सीबीआइ से कराए जाने का अनुरोध करते हुए उच्चाधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक से कई बार किया। इस पर शासन ने प्रयागराज पुलिस से आख्या भी तलब की, मगर सीबीआइ जांच की सिफारिश नहीं की गई। इसके पीछे तमाम लोग राजनीतिक दांव-पेंच की बात भी कह रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि अगर सीबीआइ ने जांच शुरू की तो कई माफिया व सफेदपोश भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।
स्केच और सीसीटीवी फुटेज से भी सुराग नहीं -
हत्याकांड में शूटरों का सीसीटीवी फुटेज और स्केच भी पुलिस के काम नहीं आया। शूटरों की तस्वीर सीसीटीवी में कैद हुई, जिसके आधार पर छानबीन व तलाश हुई। पुलिस ने दो बार स्केच तैयार करवाया।। सीसीटीवी से ली गई तस्वीर और स्केच को प्रदेश के सभी जिलों के साथ दूसरे राज्यों को भेजे गए लेकिन सुराग नहीं मिला। शूटरों के बारे में बारे में जानकारी देने वालों को 50 हजार रुपये का इनाम देने की भी घोषणा की गई, लेकिन कोई सूचना नहीं दे पाया।
मुख्य संदिग्ध रहा आलोक सिन्हा
डॉ. एके बंसल की हत्या में आलोक सिन्हा नाम मुख्य संदिग्ध के तौर पर उभरकर सामने आया था। एडमिशन माफिया आलोक और डॉ. बंसल के बीच 60 लाख रुपये का विवाद था। डॉ. बंसल ने सिविल लाइंस थाने में केस दर्ज कराया तो पुलिस ने आलोक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। माना जा रहा है कि जेल में आलोक का कई शूटरों से संपर्क हुआ। डॉ. बंसल की हत्या के बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की लेकिन जमानत पर रिहा आलोक परिवार सहित फरार हो गया। पटना के पते पर भी वह नहीं मिला।
विश्वविद्यालय समेत कई विवाद आए सामने -
डॉ. बंसल हत्याकांड में लखनऊ स्थित मर्हिष यूनिर्विसटी ऑफ इनफारमेशन टेक्नोलॉजी के विवाद की भी गहरी जांच की गई थी। कहा जा रहा है कि डॉक्टर बंसल ने इस यूनिर्विसटी में करोड़ों रुपये का निवेश किया था। उन्होंने यूनिर्विसटी में कुलपति पद पर दावा भी किया था। मामला अदालत में गया था। उस मामले में एक पूर्व मंत्री की दखल थी। हत्याकांड से पहले डॉ. बंसल उस यूनिर्विसटी में विवाद सुलझाने गए थे और फिर 15 जनवरी को बैठक होने वाली थी। इसी तरह करोड़ों रुपये के कई और भूमि विवाद सामने आए थे, जिसकी जांच पुलिस ने की थी।
पूर्व ब्लॉक प्रमुख के कनेक्शन की हुई जांच
सपा नेता समेत दो लोगों के हत्या की सुपारी देने के आरोप में गिरफ्तार किए गए पूर्व ब्लॉक प्रमुख दिलीप मिश्रा से भी डॉ. बंसल हत्याकांड के कनेक्शन की जांच की गई थी। पूछताछ में पता चला था कि घटना के दिन दिलीप का गुर्गा राजेश पांडेय अपने कुछ साथियों के साथ अस्पताल में मौजूद था। पुराने सीसीटीवी फुटेज से खान मुबारक गैंग के शूटर नीरज उर्फ अखंड से मिलाया गया था, जो पूर्व ब्लॉक प्रमुख के कॉलेज में नाम बदलकर रह रहा था।
पुलिस ने किया भरसक प्रयास
पुलिस की सात टीमें और एसटीएफ की प्रयागराज, लखनऊ और वाराणसी यूनिट हत्याकांड का पर्दाफाश करने के लिए भरसक प्रयास किया। तीन हजार से अधिक लोगों से पूछताछ, 87 लोगों का बयान दर्ज करने के साथ ही डेढ़ सौ से ज्यादा संदिग्ध लोगों को पूछताछ के लिए उठाया गया। सैंकड़ों मोबाइल नंबर र्सिवलांस पर लगाए गए। एसटीएफ के आइजी और एसएसपी ने भी कई दिन तक कैंप किया और कई राज्यों में छापेमारी हुई। मगर न शूटर मिले और न ही कत्ल की साजिश रचने वाले।
कई बार भेजा पत्र, नहीं हुई सीबीआइ जांच
डा. एके बंसल की पत्नी डॉ. वंदना बंसल ने कहा कि कई बार उच्चाधिकारियों व शासन को पत्र भेजा गया, लेकिन सीबीआइ जांच नहीं हुई। कातिल अभी तक फरार हैं और उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए। सजा भी मिलनी चाहिए। हत्याकांड के बाद डॉ. वंदना ने ही परिवार के साथ ही अस्पताल का काम संभाला। वह कहती हैं। मंगलवार को पुण्य तिथि है। उनके ही बताए रास्ते पर चलकर लक्ष्य को पूरा करना हमारे लिए उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।