100 years of UP board: 'मिशन गौरव पोर्टल' पर पूर्व छात्रों की गौरवगाथा, यहां लिख सकेंगे कामयाबी की कहानी
100 years of UP board यूपी बोर्ड के अफसरों ने मिशन गौरव नामक पोर्टल शुरू कर दिया है जिस पर बोर्ड से संबद्ध कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं अपनी कामयाबी की कहानी बयां कर सकते हैं। यहां की पढ़ाई उनके कितना काम आई।
प्रयागराज [राज्य ब्यूरो]। 100 years of UP board: परीक्षार्थियों की संख्या के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा यूपी बोर्ड अगले बरस 100 साल का होने जा रहा है। यूपी बोर्ड यानी उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की जितनी लंबी उम्र, उससे भी लंबी उपलब्धियों की फेहरिश्त है। देश ही नहीं दुनिया भर में यहां से पढ़े शख्स आसानी से मिल जाएंगे, उनमें से कई सफलता के शिखर पर हैं। सबको छोड़िए उपमुख्यमंत्री और माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा खुद इसी बोर्ड के छात्र रहे हैं। शताब्दी वर्ष दस्तक देने जा रहा है इसलिए यूपी बोर्ड भी अपनी उपलब्धियों का गौरवगान करेगा।
इस अहम संस्था की पताका पूर्व छात्र फहरा रहे हैं इसलिए सबसे पहले उन्हें मौका दिया गया है। माध्यमिक शिक्षा के अफसरों ने मिशन गौरव नामक पोर्टल शुरू कर दिया है, जिस पर बोर्ड से संबद्ध कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं अपनी कामयाबी की कहानी बयां कर सकते हैं। यहां की पढ़ाई उनके कितना काम आई। विभाग का फोकस इसी पर है। इसके माध्यम से वह अपनी कमियों को भी देखेगा साथ ही और क्या-क्या बेहतर किया जा सकता है उनके सुझावों पर भी अमल करने का प्रयास करेगा।
आठ माह में होंगे विविध आयोजन : माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की स्थापना सितंबर 1921 को हुई थी और पहली परीक्षा 1923 में कराई गई थी। इंटरमीडिएट एक्ट 1921 की पहली बैठक सितंबर में हुई, जो अप्रैल 1922 में लागू हुआ था। उसी तर्ज पर शताब्दी वर्ष भी अगले साल सितंबर 2021 से शुरू होकर अप्रैल 2022 तक बड़े पैमाने पर मनाने की तैयारी है। इसमें वैसे तो विविध आयोजन होंगे, स्कूल-कॉलेजों में जिस तरह शिक्षा और खेल पर जोर दिया जाता है उसी तरह से इनसे जुड़े कार्यक्रम कराए जाएंगे। लेकिन, संस्था को एक बार फिर देशभर में शोहरत मिले इसको ध्यान में कार्यक्रम तय किया जा रहा है।
भवन होगा लकदक, बढ़ेंगे संसाधन : यूपी बोर्ड के शताब्दी वर्ष को यादगार बनाने के लिए प्रदेश सरकार भी प्रयासरत है। लोक निर्माण विभाग ने परिषद के मुख्य भवन को चमकाने की योजना बनाई है। इसी साथ लंबे समय से संसाधनों की कमी से जूझ रहे संस्थान को बेहतर करने की भी तैयारी है।
पुराना एक्ट भी बदल रहा : शिक्षा निदेशक माध्यमिक ने बोर्ड के एक्ट का पुनरीक्षण करने के लिए कई कमेटियां बनाई थी। उसमें यह देखा जा रहा है कि कौन नियम अब प्रासंगिक नहीं है और किनकी जरूरत है। इसका प्रस्ताव भी शुक्रवार को सौंपा गया है। कहा जा रहा है कि उसमें कुछ और बदलाव होने हैं।