Negligence : प्रतापगढ़ में नौ साल बाद भी शुरू नहीं हो सकी सीवर लाइन
शहर में होने वाले जल भराव से निजात दिलाने के लिए शासन ने वर्ष 2007 में सीवेज निस्तारण की योजना स्वीकृत की थी। 18.20 करोड़ लागत से शहर में 12.47 किमी सीवर लाइन बिछनी थी। इसके साथ ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और उसमें पंपिंग स्टेशन का निर्माण कराया जाना था।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ जनपद में शहर के सीवेज निस्तारण की योजना स्वीकृत होने के 11 साल बाद भी सीवर लाइन चालू नहीं हो सकी। यही नहीं शुरू होने के पहले ही एसटीपी के अधिकांश उपकरण खराब हो गए। ऐसे हालात मेंं अफसरों की मनमानी का खामियाजा शहरवासी भुगत रहे हैं।
2007 में सीवेज निस्तारण की योजना
शहर में होने वाले जल भराव से निजात दिलाने के लिए शासन ने वर्ष 2007 में सीवेज निस्तारण की योजना स्वीकृत की थी। 18.20 करोड़ लागत से शहर में 12.47 किमी सीवर लाइन बिछनी थी। इसके साथ ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और उसमें पंपिंग स्टेशन का निर्माण कराया जाना था। इस योजना में पहले तो नगर पालिका से जमीन मिलने में देरी हुई। सई नदी के किनारे जमीन मिलने पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य शुरू कराया गया। दो साल में यानि दिसंबर 2011 में एसटीपी तैयार हो गया। फिर जनवरी 2012 से शहर में सीवर लाइन बिछाने का काम शुरू किया गया।
3.54 करोड़ रुपये की और दरकार
सीवर लाइन बिछाने में जमकर अनियमितता बरती गई। इस योजना का 1.78 करोड़ रुपये तत्कालीन अधिशासी अभियंता ने दूसरी योजनाओं पर व्यय कर दिया था। यही नहीं 16.42 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी सिर्फ 6.70 किमी ही सीवर लाइन बिछ सकी। करीब 50 फीसद ही सीवर लाइन बिछाई गई है, यानी अभी भी करीब छह किमी पाइप लाइन बिछनी बाकी है। निर्माण के करीब नौ साल बाद भी एसटीपी सक्रिय नहीं होने के कारण उसके कई उपकरण खराब हो गए। अब खराब उपकरणों की मरम्मत सहित एसटीपी को चलाने के लिए 3.54 करोड़ रुपये की और दरकार है। 3.54 करोड़ रुपये की डिमांड जल निगम ने नगर विकास विभाग से की है। हालांकि अभी तक बजट स्वीकृत नहीं हो सका है। इस तरह 16.42 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी शहरवासी जलभराव की समस्या से जूझने को मजबूर हैं। इस बारे में जल निगम के एक्सईएन घनश्याम द्विवेदी ने बताया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के कुछ उपकरण खराब हो गए हैं। इसके अलावा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से सीवर लाइन को जोड़ने का काम बाकी है। इसके लिए 3.54 करोड़ रुपये की मांग शासन से की गई है।