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कौशांबी की पीतल नगरी शमशाबाद में अब खत्म हो रहा बर्तन उद्योग

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के विधानसभा सिराथू क्षेत्र का शमशाबाद कभी पीतल नगरी के नाम से मशहूर था। बर्तन के कारोबार से यहां के अधिकतर परिवारों का जीवन यापन होता था। लेकिन अब इस नगरी से बर्तन उदयोग लगभग खत्‍म होने के कगार पर है।

By Edited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 05:28 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 06:19 PM (IST)
कौशांबी की पीतल नगरी शमशाबाद में अब खत्म हो रहा बर्तन उद्योग
विधानसभा सिराथू क्षेत्र का शमशाबाद कभी देश भर में पीतल नगरी के नाम पर मशहूर था।

कौशांबी, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के विधानसभा सिराथू क्षेत्र का शमशाबाद कभी पीतल नगरी के नाम से मशहूर था। बर्तन के कारोबार से यहां के अधिकतर परिवारों का जीवन यापन होता था। बर्तन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1962 में पीएम इंदिरा गांधी ने निर्माण उद्योग सहकारी समिति लिमिटेड की आधारशिला रखी थी, लेकिन बदलते वक्त और सिस्टम की उपेक्षा से आज पीतल उद्योग खत्म होने की कगार पर है। इसकी वजह से बर्तन बनाने वाले कारीगर मजदूरी करने को मजबूर हैं।

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कभी मुरादाबाद से होती थी तुलना

विधानसभा सिराथू क्षेत्र का शमशाबाद कभी देश भर में पीतल नगरी के नाम पर मशहूर था। लोग बताते हैं कि एक वक्त था जब इसे मिनी मुरादाबाद के नाम से जाना जाता था पर अब यह समाप्ति की ओर है।

इंदिरा गांधी ने रखी थी समिति की आधारशिला

ग्राम प्रधान राजेश कसेरा ने बताया कि पीतल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1962 में पीएम इंदिरा गांधी ने पीतल उद्योग बर्तन निर्माण उद्योग सहकारी समिति लिमिटेड की आधारशिला रखी थी। इसके बाद कारोबार को बढ़ावा देने के लिए ध्यान नहीं दिया गया। सुविधा व धनाभाव के चलते बर्तन से जुड़े अधिकतर कारोबारी यहां से पलायन कर गए। कुछ लोगों ने इस कारोबार को बंद कर दूसरा काम शुरू कर दिया है। बंद हो गए कई कारखाने पीतल नगरी के नाम से मशहूर शमशाबाद में तीन दशक पूर्व 125 कारखाने थे। बर्तन बनने के बाद दूसरे शहरों व प्रांतों में जाता था। बर्तन उद्योग में मुरादाबाद के बाद दूसरा नंबर शमशाबाद का आता था। आज बर्तन व्यवसाय प्रशासनिक उपेक्षा के कारण 10 प्रतिशत से कम रह गया है। सुरेश चंद्र, रामप्रसाद, दयाराम आदि लोगों ने कारोबार बंद कर दिया है। यहां के कारीगर भुखमरी की कगार पर आ गए तो मजदूरी कर रहे हैं। कारीगरों का कहना है कि स्टील के कारखानों को जहां करोड़ों का लोन मिलता है। वहीं, पीतल और गिलट का बर्तन बनाने वालों को बैंक बड़ा लोन देने को तैयार नहीं है। इसके पीछे हमारे जनप्रतिनिधि सबसे बड़े जिम्मेदार है। शिकायत के बाद भी प्रशासनिक अधिकारी व जन प्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं।

बोले कौशांबी के बीजेपी सांसद

भाजपा सांसद विनोद सोनकर ने कहा कि पीतल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। नेशनल स्माल इंट्राशन कारपोरेशन द्वारा सर्वे कराकर कारोबारियों को ऋण व अन्य सुविधा देने के लिए फार्म भी उपलब्ध कराया गया था, लेकिन कारोबारी आगे नहीं आए। जो लोग कारोबार कर रहे हैं या करना चाहते हैं। उनके लिए जल्द बैंकों की ओर से शमशाबाद में कैंप लगाया जाएगा। 


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