Ayodhya Ram Mandir : प्रयागराज में कारसेवकों के जज्बे से ध्वस्त हुई थी सारी बंदिशें
Ayodhya Ram Mandir मेरे घर में भी पुलिस ने कई बार छापा मारा था। लेकिन मैं नहीं मिला। राम मंदिर के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्व हिंदू परिषद ने अपनी ताकत लगा दी थी।
प्रयागराज, [शरद द्विवेदी]। नौवें दशक का ऐसा दौर था जब कारसेवकों के जज्बे से बंदिशों की सारी बेडिय़ां टूट गईं। तमाम सख्ती के बाद भी रात को तीन बजे तक बैठकें होती थीं। घर-घर जनसंपर्क कर लोगों को जोड़ा जा रहा था और आंदोलन को गति दी जा रही थी। कारसेवकों के घरों में पुलिस का छापा आम बात हो चली थी। इन सबके बाद भी कारसेवकों के मन में श्री राम मंदिर निर्माण के अलावा कोई दूसरा ख्याल नहीं आता था। रोम-रोम में श्रीराम के वास की अनुभूति और उनके लिए सर्वस्व न्यौछावर करने की भावना थी। यह बातें अतीत को याद करते हुए 1990 की कारसेवा में हिस्सा लेने वाले और इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्रमणि त्रिपाठी ने बताईं।
दिनभर घर किया जाता था संपर्क
बकौल देवेंद्रमणि 1990 में प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। कारसेवा पर उन्होंने रोक लगा रखी थी। सेवकों की धरपकड़ चल रही थी। मेरे घर में भी पुलिस ने कई बार छापा मारा था। लेकिन, मैं नहीं मिला। राम मंदिर के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्व हिंदू परिषद ने अपनी ताकत लगा दी थी। विहिप नेता स्व. ठाकुर गुरुजन सिंह, अशोक सिंहल, आरएसएस के वरिष्ठ नेता शारदा प्रसाद त्रिपाठी के मार्गदर्शन में दिन में घर-घर जनसंपर्क किया जाता और रात को तीन बजे तक कार्यकर्ताओं की बैठकें होती थीं।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद तब विहिप संगठन मंत्री रहे
मौजूदा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तब प्रयागराज में विहिप के संगठन मंत्री थे। केशव मौर्य रात में होने वाली बैठकों में हिस्सा लेकर बड़े नेताओं के दिशा-निर्देशों को आम कार्यकर्ताओं को बताते थे और आंदोलन को गति को देते थे।
फाफामऊ गंगा पुल पर हुआ लाठी चार्ज
देवेंद्रमणि बताते हैं कि 27 अक्टूबर 1990 को सुभाष चौराहा से हजारों कारसेवकों का जत्था 'जय श्रीरामÓ का उद्घोष करते पैदल अयोध्या के लिए निकल पड़ा। पुलिस ने फाफामऊ पुल पर घेरकर लाठियां बरसाई थी। इसमें सैकड़ों कारसेवक घायल हो गए। कारसेवकों व पुलिस के बीच घंटों गुरिल्ला युद्ध चला था। केशव प्रसाद मौर्य कारसेवकों के खाने-पीने के प्रबंध में लगे थे।
अस्पताल में भर्ती करने से अस्पताल प्रशासन ने कर दिया था इंकार
लाठीचार्ज के बाद वह 24 से ज्यादा घायलों को बारी बारी से कंधे पर लादकर तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय लाकर भर्ती कराया। प्रशासन की सख्ती के कारण अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया गया, बाद में मामला बढ़ता देख सभी को भर्ती किया गया। देवेद्र के मुताबिक कारसेवकों के अस्थि कलश से भी देश में माहौल बदला।