बैंक में ब्याज घटाने के लिए आवेदन करने वालों को देना पड़ रहा सर्विस चार्ज Prayagraj News
आरबीआइ के गवर्नर शशिकांत दास ने 27 मार्च को रेपो रेट में 0.7 फीसद और फिर 22 मई को 0.4 फीसद की कटौती की थी।
प्रयागराज, जेएनएन। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) ने लॉकडाउन में अर्थव्यवस्था को गति देने व कर्जदार पर ईएमआइ का बोझ कम करने का प्रयास किया है। इसके लिए रेपो रेट में दो बार कटौती की है। हालांकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) ने ब्याज में कटौती नहीं की। ब्याज घटाने के लिए बैंक में आवेदन करने वाले कर्जदारों को 5900 रुपये सर्विस चार्ज देना पड़ रहा है। इससे साल में जितना ब्याज नहीं घटेगा, उससे ज्यादा तो सर्विस चार्ज देना पड़ेगा।
सर्विस चार्ज 5900 रुपये लिया जा रहा है
आरबीआइ के गवर्नर शशिकांत दास ने 27 मार्च को रेपो रेट में 0.7 फीसद और फिर 22 मई को 0.4 फीसद की कटौती की थी। सिडबी के ब्रांच मैनेजर (प्रयागराज शाखा) मुकेश कुमार जायसवाल एवं एंजल लाइफ आइवीएफ के निदेशक डॉ. शशांक खरबंदा ने बताया कि आरबीआइ के दिशा-निर्देशों के मुताबिक एसबीआइ से होमलोन पर ब्याज दर कम करने के लिए आग्रह किया तो एक फार्म साइन करके देने के लिए कहा गया। बताया गया कि ब्याज दर परिवर्तन करने के लिए सर्विस चार्ज के रूप में 5000 और 18 फीसद जीएसटी (कुल 5900 रुपये) देना पड़ेगा। यानी पांच लाख हाउसिंग लोन पर यदि एक फीसद ब्याज कम हुआ तो एक वर्ष में पांच हजार का बोझ कम होगा लेकिन सर्विस चार्ज 5900 रुपये लिया जा रहा है। इससे ग्राहक को फायदा होने के बजाय 900 का नुकसान होगा।
बोले, प्रीमियर कंडक्टर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक
प्रीमियर कंडक्टर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अनुपम शर्मा का कहना है कि एसबीआइ ने बिजनेस लोन पर भी ब्याज दर में कोई कमी नहीं की है। एसबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि होमलोन दो तरह के होते हैं। फ्लोटिंग और फिक्स रेट के लोन। फिक्स रेट पर लोन में ब्याज कम नहीं होता है। फ्लोटिंग और मौजूदा लोन पर ही ब्याज में छूट मिलेगी। ब्याज कम कराने के लिए सर्विस चार्ज एक बार लगता है लेकिन लोन की कटौती कई साल चलेगी, जिसका फायदा ग्राहक को मिलेगा।