Industry Demands : लॉकडाउन में मांग बढ़े तो इकाइयों में फिर लौटे रौनक Prayagraj News
बाजार न खुलने से रॉ-मैटेरियल और मशीनरी पार्ट्स मिलने में दिक्कतें हो रही थी। अब धीरे-धीरे बाजार खुलने लगा है इससे उद्यमियों को इन समस्याओं से निजात मिलने लगी है।
प्रयागराज, जेएनएन। बाजारों के धीरे-धीरे खुलने से रॉ-मैटेरियल और मशीनरी पाट्र्स की दिक्कतें कुछ हद तक दूर होने लगी हैं। इससे इकाइयों के उत्पादन में भी तेजी आने के आसार हैं। फिलहाल जब तक उत्पादों की मांग में वृद्धि नहीं होगी, तब तक इकाइयों में फिर से रौनक लौटने के आसार नहीं नजर आ रहे हैं।
कई इकाइयों का संचालन शुरू पर रॉ-मैटेरियल नहीं मिल रहे
लॉकडाउन 1.0 के समाप्त होने के साथ ही शुरू हो गया था। हालांकि, लॉकडाउन 3.0 के अंत तक लगभग सभी इकाइयां शुरू हो गई थी। हालांकि बाजार न खुलने से रॉ-मैटेरियल और मशीनरी पार्ट्स मिलने में दिक्कतें हो रही थी। अब धीरे-धीरे बाजार खुलने लगा है, इससे उद्यमियों को इन समस्याओं से निजात मिलने लगी है। वहीं होटल, रेस्टोरेंट, माल, परिवहन सेवाएं जैसे रेलवे, हवाई सेवाएं और बसों का संचालन के बाद ही इकाइयों में रौनक नहीं लौट पा रही है। अभी बाजारों में भी उत्पादों की मांग नहीं बढ़ रही है। पहले से फंसे पैसे न मिलने से भी उद्यमियों के सामने मुश्किलें हैं।
सरकारी नियम-कानूनों का पालन करते हुए दिनचर्या को आगे बढ़ाएंगे
उद्यमियों का मानना है कि परिवहन सेवाएं खुलने पर माल की आपूॢत में कुछ सुधार होगा। उद्यमियों का यह भी कहना है कि लोगों को फिलहाल कुछ महीने इसी तरह के माहौल में रहना है, इसलिए उन्हें सरकारी नियम-कानूनों का पालन करते हुए अपनी दिनचर्या को आगे बढ़ाना होगा। दिनचर्याएं पटरी पर आ जाएंगी तो आॢथक व्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार होगा।
बढ़े रेट का एमआरपी में भी समायोजन नहीं
दूसरी ओर जिन इकाइयों में पहले से उत्पाद तैयार रखे हैं। उनमें एमआरपी भी छपा होता है। लॉकडाउन में ट्रांसपोर्टरों के माल भाढ़ा में अचानक वृद्धि कर देने से उद्यमी उसका भी समायोजन एमआरपी में नहीं कर सकेंगे। ऐसे में अगर उनके माल की आपूॢत होती भी है तो उन्हें पहले वाले रेट पर ही सामान बेचना पड़ेगा। बढ़े माल भाड़े का खर्च उन्हें ही झेलना पड़ेगा।