लॉकडाउन 4.0 : मंदिर और विवाह पर है लॉक तो फूलों की बिक्री भी डाउन Prayagraj News
लॉकडाउन की वजह से न कोई खरीदार मिल रहा है और न ही वह इसे बेचने बाहर ही जा पा रहे हैं। खेत तो फूलों से पटा है लेकिन फिर भी किसानों के चेहरे पर निराशा के भाव हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। जिले में विकास खंड कौडि़हार के दासापुर मजरा सराय केशव में फूलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। क्योंकि सारे फूल अब खेतों में ही बर्बाद हो रहे हैं। शादी विवाह, त्योहार व मंदिर की शोभा बढ़ाने वाले फूल लॉकडाउन की वजह से खेतों में ही सूख रहे हैं। लॉकडाउन में फूलों की खेती बर्बाद किसानों को सरकार से राहत की उम्मीद है।
पूरे देश में है लॉकडाउन
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। लॉकडाउन में विकास खंड कौडि़हार से सटे दासापुर मजरा सराय के 20 बीघा में फूलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। लॉकडाउन की वजह से न कोई खरीदार मिल रहा है और न ही वह इसे बेचने बाहर ही जा पा रहे हैं। खेत तो फूलों से पटा है लेकिन फिर भी किसानों के चेहरे पर निराशा के भाव हैं।
इन फूलों की होती है खेती
सराय केशव गांव के फूल पीले नारंगी गेंदा तो कभी सफेद बेले, कुंडवा टोकरी, गुलाब, गुलदावरी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। गांव में धान, गेहूं की खेती बहुत कम पैमाने पर की जाती है।
दूसरे प्रदेशों में भी है यहां के फूलों की डिमांड
प्रयागराज के साथ ही प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, जौनपुर, वाराणसी, कौशांबी, चित्रकूट व रीवा समेत दूसरे प्रदेशों में फूलों को बेचा जाता है। कुछ व्यापारी तो खेती करने वाले किसानों के घर आकर फूल ले जाते हैं। हालांकि लॉकडाउन लगने के बाद कोई व्यापारी खेतों की और देखने नहीं आ रहा है।
उत्पादन का समय
फूलों का उत्पादन सबसे ज्यादा जनवरी से लेकर मई माह तक रहता है। जनवरी से मार्च तक का उत्पादन किसानों के अनुसार लगभग 20 से 25 कुंतल प्रतिदिन का रहता है। मई माह में यह घटकर लगभग 10 कुंतल प्रति दिन हो जाता है। गर्मी पडऩे के कारण गुलाब गुलदावरी के फूल सूखने लगते हैं।
फूलों की लागत
फूलों की खेती करने वाले किसानों के अनुसार एक बीघा गुलाब गेंदा गुलदावरी की खेती करने में 15 से 20 हजार की लागत आती है। फूल की सेवा अच्छी तरह हो जाती है। अच्छा खासा मुनाफा आ जाता है।
यहां किया जाता है स्टोर
किसान फूलों को अपने निजी वाहन से प्रयागराज की मंडी नैनी ले जाकर बेचा करते हैं। आसपास के फूलों का कारोबार करने वाले व्यापारी किसानों के घर आकर फूल ले जाते हैं। उन्हें किसान घर में रखे फ्रीजर में जूट के बोरे में रखकर स्टोर कर देते हैं, लेकिन स्टोर किया गया फूल यदि 48 घंटे में नहीं बेचा गया तो सड़ जाता है। शादी विवाह व त्योहार के समय किसान अपना फूलो का कोल्ड स्टोर में रखकर स्टोर करते हैं।
क्या कहते हैं किसान
नरेंद्र माली का कहना है कि हमें देखकर और कई लोग फूलों की खेती करने लग गए हैं। कभी इतना बड़ा नुकसान नहीं हुआ था। कहते हैं की लाक डाउन के चलते अब हमारी पूरी खेती ही नहीं समूचे कारोबार बैठ गया है। वहीं, रमाकांत माली बताते हैं कि गुलाब को तोड़कर उसकी पंखुडियों को सुखा रहे हैं। बस उम्मीद भर है कि शायद औने पौने दाम में बिक जाए। इन पंखुडियो का प्रयोग ठंडाई व अन्य दवाइयों में किया जाता है। पहले गुलाब की पंखुडियों को 60 से 70 प्रति किलो की दर से बिक जाती थी, अब 20 के भाव बिक जाए तो बड़ी बात होगी।
खेतों मे ही छोड दे रहे फूल
फूल की खेती करने वाले विनोद कुमार कहते हैं कि फूलों की खेती कच्चा रोजगार है। लॉकडाउन की वजह से सब बेकार हो रहा है। केवल गुलाब ही है जिसे हम लोग तोड़ रहे हैं बाकी फूलों को यूं ही छोड़ दिया जा रहा है। बातों ही बातों में फूलों की तरफ इशारा करते हुए विनोद कहते हैं कि शायद इन फूलों की किस्मत मंदिरों के लिए नहीं है।
मंदिर और विवाह पर लगा है लॉक तो कौन खरीदे फूल
मनोज बताते हैं कि गेंदा गुलाब गुलदावरी फूलों की खेती पर प्रति बीघा 20000 की लागत आ रही है। इस वक्त पूरी तरह से खेती बर्बाद हो गई है और हम लोग घाटे में चले गए हैं। हम लोग शादी व मंदिरों पर निर्भर हैं। लॉकडाउन से चलते शादियां, मंदिरों के कपाट आम जनता के लिए बंद हैं। ऐसे में काफी परेशानी हो रही है।