Lockdown 4.0 : औद्योगिक इकाइयों को शुरू करने की हरी झंडी, कामगारों की कमी बनी अड़चन Prayagraj News
करीब एक तिहाई कामगारों से ही काम चलाना पड़ रहा है। किसी इकाई में 20-25 तो किसी में 30-35 लोगों से ही उत्पादन हो रहा है।
प्रयागराज, जेएनएन। औद्योगिक इकाइयों को शुरू करने की अनुमति तो मिल गई लेकिन इनकी दौड़ में बड़ी बाधा बन गए हैं कामगार। लॉकडाउन के कारण बाहर फंसे वर्कर आ नहीं पा रहे हैं। जो काम कर भी रहे हैं, उन पर कोरोना का संक्रमण हावी है। वह अपना शत प्रतिशत नहीं दे पा रहे हैं। उद्यमियों के सामने आर्थिक संकट भी इकाइयों के संचालन में अवरोध बन रहा है। सरकार की ओर से लिमिट बढ़ाए जाने के बावजूद बैंकों में स्टॉफ की कमी के कारण लोन मिलने में अड़चन आ रही हैं।
सभी तरह की इकाइयों को चालू करने का आदेश जारी
जिले में इकाइयों को शुरू करने को लेकर लॉकडाउन 1.0 से ही छूट मिलने लगी थी। पहले चरण में राइस मिल, दाल मिल, फ्लोर मिल, ब्रेड-बेकरी, दूध के उत्पाद समेत खाद्य सामग्रियां बनाने वाली इकाइयों को चालू करने की अनुमति दी गई थी। लॉकडाउन 2.0 और 3.0 में ज्यादातर कंपनियों और इकाइयों को अनुमति मिल गई थी। अब तो सरकार ने सभी तरह की इकाइयों को चालू करने का आदेश जारी कर दिया है।
अब दिक्कत यह है कि बाहर से कामगार आ नहीं रहे
कामगारों की लिमिट भी हटा दी गई है। अब दिक्कत यह है कि बाहर से कामगार आ नहीं रहे। स्थानीय कामगारों को पुलिस रोक रही है। फैक्ट्री का पास दिखाने पर भी उन्हें लौटा दिया जाता है। करीब एक तिहाई कामगारों से ही काम चलाना पड़ रहा है। किसी इकाई में 20-25 तो किसी में 30-35 लोगों से ही उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा कामगारों को शाम सात बजे के पहले घर भी पहुंचना होता है, क्योंकि सुबह सात से शाम सात बजे तक ही छूट है।
इन पर डालें एक नजर
- 185 बड़ी इकाइयां हैं जिले में
- 1500 छोटी मझोली इकाइयां हैं जनपद में
- 10000 लोग काम करते हैं करीब।
बाेले, उपायुक्त उद्योग
उपायुक्त उद्योग अजय कुमार चौरसिया ने बताया कि सरकार ने अब जो शासनादेश जारी किया है, उसमें सभी इकाइयां चालू करने के लिए कहा गया है। कामगारों की लिमिट भी हटा दी गई है। किसी इकाई के वर्कर दूसरे जिले में हैं तो उद्यमी जिला उद्योग केंद्र में संपर्क करके वाहन पास बनवा लें और अपने वर्करों को बुलवा लें।
नैनी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महामंत्री ने कहा
नैनी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महामंत्री राकेश हजेला का कहना है कि बाहर से कामगार आ नहीं पाए हैं। जो जिले के हैं टेंपो-टैक्सी न चलने के कारण उन्हें दिक्कत पेश आ रही है। पास होने के बाद भी पुलिस उन्हें परेशान कर रही है। बैंकों में स्टॉफ की कमी के कारण लोन भी नहीं मिल पा रहा है। जमा-खर्च के अलावा अन्य काम नहीं हो रहा है।
माफ हो जीएसटी
- इकाइयों में तरलता बढ़ाने के लिए जीएसटी तीन महीने माफ होना चाहिए। इससे इंडस्ट्री को बल मिलेगा।
- 20 हजार की चीज 14-15 हजार में मिलेगी तो डिमांड बनेगा और चीजें आगे बढ़ेंगी।
ईस्टर्न यूपी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सचिव कहते हैं
ईस्टर्न यूपी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सचिव अनिल अग्रवाल का कहना है कि बैंकों की जो लिमिट बनी थी, सरकार ने उस पर 10 फीसद अतिरिक्त देने का निर्देश दिया है। कहा गया कि उसका ब्याज भी कम लेंगे, ताकि लिक्विडिटी बढ़ जाए। आयकर में उद्यमियों के जो पैसे फंसे हैं, उसे तुरंत वापस करने के लिए कहा गया। लेकिन तीन महीने बाद सरकार एकमुश्त कर्जा मांगेगी तो उद्यमी कहां से देंगे।