ये हैं 'महामना' के पौत्र गिरिधर मालवीय की धर्मपत्नी, कचरे से भी तैयार करती हैं खाद Prayagraj News
मूलरूप से जयपुर की रहने वाली कांता देवी का विवाह महामना मदन मोहन मालवीय के पौत्र गिरिधर मालवीय से हुआ। उन्होंने जैसे अपने बच्चों की परवरिश की वैसे ही बगीचे को भी सजाया।
प्रयागराज, जेएनएन। जार्जटाउन निवासी कांता देवी की असली कमाई बच्चों के साथ ही बगीचे में खिले सुनहरे फूल भी हैं। कांता देवी और कोई नहीं बल्कि महामना मदन मोहन मालवीय के पौत्र की धर्मपत्नी हैं। यहां एक बार और जिक्र करना है कि महामना के पौत्र इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी रह चुके हैं। अब आते हैं कांता देवी के पर्यावरण प्रेम के विषय पर। वह फूलों की न केवल अच्छे से देखभाल करती हैं, बल्कि बगीचे के लिए खाद भी घर पर तैयार करवाती हैं। घर से निकलने वाला कचरा भी वह बाहर नहीं फेंकती हैं। उससे खाद तैयार करती हैं।
तीन बच्चों की परवरिश के साथ ही बगीचे को भी सजाया
मूलरूप से जयपुर की रहने वाली कांता देवी का विवाह महामना मदन मोहन मालवीय के पौत्र गिरिधर मालवीय से हुआ। जब उनकी शादी हुई तो गिरिधर मालवीय का घर पुराने शहर में था। 1961 में उनका परिवार जार्जटाउन में आकर रहने लगा। बंगले से महामना की यादें जुड़ी हुई हैं, इसलिए कांता देवी ने हमेशा इससे फूलों से सजाकर रखा। उन्होंने जैसे अपने तीन बच्चों की परवरिश की, वैसे ही हमेशा बगीचे को भी सजाया। शुरुआत में बंगले की चहारदीवारी नहीं थी तो बेसहारा जानवर बगीचे को खराब कर देते थे। दीवार बनने के बाद 1980 से उन्होंने बागवानी शुरू की और आज तक कर रही हैं। बागवानी के दौरान जब कई बार पौधे सूख गए तो उन्होंने अपने घर पर ही खाद तैयार करनी शुरू कर दी। उन्होंने गोबर की खाद बनाई। पत्तों की खाद बनाई और किचन से निकलने वाले कचरे से भी खाद तैयार करवाई।
पति ने सदैव मुझे बागवानी के लिए प्रेरित किया : कांता देवी
कांता देवी कहती हैं कि उनका बगीचा हमेशा इसलिए सुंदर दिखाई देता है, क्योंकि उनके पति (न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय) हमेशा उनके साथ बगीचे को संवारते रहे। साथ ही उन्होंने हमेशा बागवानी के लिए मुझे प्रेरित किया।
बगीचे में तैयार करती हैं साज-सब्जी भी
कांता देवी जो खाद तैयार करती हैं, उसका इस्तेमाल फूलों के लिए तो करती ही हैं, साज-सब्जी तैयार करने में भी घर की खाद का ही प्रयोग करती हैं। वह बताती हैं कि उनकी कोशिश रहती है कि हरी सब्जियां उनके बगीचे में ही तैयार हो जाए। उन्हें गाय सेवा करना पसंद है। इसलिए उनके बंगले में हमेशा एक गाय जरूर रहती है।
दैनिक जागरण की उद्यान प्रतियोगिता में पुरस्कार जीतने को लगी होड़
दैनिक जागरण ने बागवानी के शौकीन लोगों के लिए जो उद्यान प्रतियोगिता शुरू की है। उसमें पुरस्कार जीतने के लिए लोगों में होड़ लग गई है। 50 वर्गमीटर से कम क्षेत्र में बगीचा, 50 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्र में बगीचा, 80 वर्गमीटर तक क्षेत्र में जैविक खेती करने वाले लोग और छत पर बागवानी करने वाले लोगों में होड़ मच गई है। रोजाना लोग अपनी प्रविष्टि ई-मेल या दैनिक जागरण कार्यालय में जमा कर रहे हैं। अगर आपने अभी तक अपनी प्रविष्टि नहीं भेजी है तो तत्काल आवेदन पत्र पर अपना वर्ग, नाम, पता, मोबाइल और वाट्सएप नंबर और दो फोटो दैनिक जागरण के पास भेज दें। 25 फरवरी तक प्रविष्टियां जमा होंगी। उसके बाद दैनिक जागरण का निर्णायक मंडल बगीचों का निरीक्षण करेगा। खूबसूरत बगीचों को पुरस्कार दिया जाएगा।
यहां करें संपर्क
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