बारा विधायक अजय भारतीय के मामले में अग्रिम विवेचना का कोर्ट ने दिया आदेश
कोर्ट ने बारा विधायक अजय भारतीय के मामले में नैनी पुलिस की क्लीन चिट को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अग्रिम विवेचना का आदेश कोर्ट ने दिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। बारा विधायक अजय भारतीय पर धोखाधड़ी से संबंधित मुकदमे में कोर्ट ने अग्रिम विवेचना का आदेश दिया है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रज्ञा सिंह ने नैनी पुलिस की ओर से प्रेषित की गई क्लीन चिट को खारिज कर दिया है।
बुधाना देवी बनाम अजय भारतीय के मुकदमे की विवेचना
अदालत में नैनी पुलिस ने बुधाना देवी बनाम अजय भारतीय के मुकदमे की विवेचना के बाद अंतिम आख्या पेश की। विवेचक द्वारा यह तथ्य दर्शाया गया कि मामला भूमि से संबंधित है, जिसका संबंध दीवानी न्यायालय से है। मुकदमा सिविल जज व तहसीलदार के न्यायालय में चल रहा है। लिहाजा मुकदमे की विवेचना न्यायहित में नहीं है।
विवेचक ने न जांचकर्ता का बयान लिया, न ही स्थलीय परीक्षण किया
कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह तथ्य भी प्रकाश में आया कि कमिश्नर के आदेश पर ग्रामसभा चक रघुनाथ नैनी स्थित भूखंड 81, 82, 83, 84 और 95 के भू-अभिलेखों में की गई जांच आख्या के बारे अतिक्रमण करके फर्जी खाता अंकित कराए जाने का जिक्र है। जांचकर्ता वीरेंद्र प्रताप व आशीष कुमार मिश्रा का बयान विवेचक ने नहीं लिया और स्थलीय परीक्षण भी नहीं किया। इसी आधार पर अग्रिम विवेचना का आदेश हुआ है।
विवेचक ने विधायक को पहुंचाया लाभ
विवेचक ने विधायक को पहुंचाया लाभ मामला बारा विधानसभा क्षेत्र से विधायक अजय कुमार भारतीय से जुड़ा है। सरकारी संपत्ति को बड़े ही सुनियोजित ढंग से कब्जा किया गया। उसमें महाविद्यालय बनवाया गया और सरकारी रिकार्ड में हेराफेरी की गई।
धोखाधड़ी करने पर महिला पर रिपोर्ट
सिविल लाइंस थाने में रेखा दिलीप अग्रवाल नामक महिला के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में रिपोर्ट दर्ज हुई है। एफआइआर बोरी वली वेस्ट मुंबई निवासी कुणाल सुरेश ठक्कर की तहरीर पर लिखी गई है। आरोप है कि रेखा ने आगरा स्थित रामस्वरूप इंटर कालेज की छात्रा बताकर फर्जी ढंग से माध्यमिक शिक्षा परिषद से इंटर व हाईस्कूल का प्रमाण पत्र प्राप्त किया। पीडि़त का यह भी आरोप है कि रेखा बांग्लादेश की रहने वाली है और वह फर्जी ढंग से दूसरे लोगों के साथ रहती है। शिक्षित भी नहीं है। चौकी प्रभारी थार्नहिल रोड अरविंद सोनकर का कहना है कि कुणाल सुरेश ने उच्चाधिकारियों को शिकायत शिकायत भेजी थी, जिसके आधार पर मुकदमा लिखा गया है। पीडि़त का बयान लेने पर ही सच्चाई सामने आ पाएगी।