कुंभ बाद घटा गंगा का जलस्तर, अब तो डुबकी लगाने को भी पानी नहीं
संगम में श्रद्धालुओं को डुबकी लगाने तक को पर्याप्त जल नहीं है। इससे उन्हें परेशानी हो रही है। तेज गर्मी में फाफामऊ से संगम तक गंगा में कई जगह टापू उभर आए हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। सूरज के तीखे तेवर के बीच संगम पर गंगा का जलस्तर तेजी से घट रहा है। करीब 20 दिन में संगम नोज पर घाट के किनारे जल इतना कम हो गया है कि श्रद्धालु गंगा में डुबकी तक नहीं लगा पा रहे। डुबकी लगाने के लिए उन्हें गंगा के बीच में टापू पार कर काफी दूर तक पैदल जाना पड़ रहा है।
गर्मी बढऩे के साथ ही कम होने लगता है गंगा का जलस्तर
आमतौर पर मार्च के बाद जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, गंगा के जलस्तर में भी कमी होने लगती है। इस दौरान फाफामऊ से दारागंज और वहां से संगम नोज तक गंगा में जगह-जगह टापू उबर आते हैैं। इस बार कुंभ मेला के दौरान गंगा में पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध रहा। मेला खत्म होने के बाद बीच में जलस्तर कुछ कमी थी। उस दौरान बालू के टीले उभर आए थे लेकिन 20 अप्रैल के बाद जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी शुरू हुई और फाफामऊ से लेकर संगम तक जल ही जल नजर आने लगा था। उस दौरान छतनाग (झूंसी) में गंगा का जलस्तर 76.45 मीटर पर पहुंच गया है।
गंगा में जगह-जगह बालू के टापू दिखने लगे हैैं
अब एक बार फिर गंगा का जलस्तर घट गया है। इसकी वजह से रसूलाबाद घाट, तेलियरगंज में शंकरघाट, फाफामऊ पुल के नीचे, नागवासुकी के सामने, शास्त्री पुल के नीचे से लेकर संगम तक गंगा में जगह-जगह बालू के टापू दिखने लगे हैैं। छतनाग के पास गंगा का जलस्तर 73-74 मीटर के आसपास रह गया है। संगम नोज के पंडा अनिल झा बताते हैैं, अप्रैल के अंत तक संगम पर पर्याप्त जल था लेकिन उसके बाद से लगातार जलस्तर घट रहा है। पिछले 20 दिनों में संगम नोज पर घाट से गंगा आठ से 10 फीट तक दूर चली गई हैैं।
बोले सिंचाई बाढ़ कार्य खंड के अधीक्षण अभियंता
सिंचाई बाढ़ कार्य खंड के अधीक्षण अभियंता मनोज कुमार सिंह कहते हैं कि इस सीजन में गंगा-यमुना के जलस्तर में कमी आ जाती है। वर्तमान में टिहरी डैम से प्रतिदिन 5500 क्यूसेक जल छोड़ा जा रहा है।
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