अब आंध्र प्रदेश मॉडल पर होंगे मनरेगा के कार्य
कार्यशाला में मनरेगा के साथ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद थे। दोनों विभागों के बीच सामंजस्य के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 16 May 2019 04:44 PM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 10:35 AM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन : मनरेगा के कार्य अब आंध्र प्रदेश मॉडल पर कराए जाएंगे। यहां भी इंटरलॉकिंग और नाली के कार्य से इतर मनरेगा के तहत बकरी, मुर्गी, कैटल शेड बनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है। एमएनएनआइटी में मंडल स्तरीय कार्यशाला में इसके लिए प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यशाला में सीडीओ अरविंद सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायतों को धनराशि और अधिकार उपलब्ध करा दिए गए हैं। प्लानिंग के स्तर पर पंचायतों को सुझाव देने की आवश्यकता है। प्रधानों को इंटरलॉकिंग और नाली के कार्यों से ऊपर उठकर सोचना होगा। खासतौर पर गरीब परिवारों के लिए कैटल शेड, महिलाओं के लिए सिलाई-कढ़ाई केंद्र शेड भी मनरेगा के तहत बनाए जा सकते हैं।
इसके अलावा जिन गरीब किसान की थोड़ी जमीन है और वह जमीन ऊबड़-खाबड़ है तो मनरेगा के तहत उस किसान की जमीन को समतल भी कराया जा सकता है। यानी व्यक्तिगत रूप से गरीबों की आय को बढ़ाने की कोशिश की जाए। खासतौर पर महिला समूहों को प्राथमिकता के आधार पर कार्य देने को भी कहा गया। कार्यशाला में मनरेगा के साथ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद थे।
दोनों विभागों के बीच सामंजस्य के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया। लखनऊ से मास्टर ट्रेनर धीरज और आदिल ने ट्रेनिंग दी। आयुक्त ग्राम विकास एनपी सिंह ने मनरेगा के धन के सदुपयोग पर जोर दिया। एनआरएलएम के अपर निदेशक टीके सीबू ने ब्लॉक स्तर जल्द कार्य कराने के प्रस्ताव बनाने को कहा। इसमें सीडीओ कौशांबी इंद्रसेन सिंह, डीसी मनरेगा प्रयागराज तेजभान सिंह, डीसी एनआरएलएम अजीत कुमार, एक जिला एक उत्पाद के संयुक्त सचिव गौरव श्रीवास्तव भी मौजूद रहे।
कार्यशाला में सीडीओ अरविंद सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायतों को धनराशि और अधिकार उपलब्ध करा दिए गए हैं। प्लानिंग के स्तर पर पंचायतों को सुझाव देने की आवश्यकता है। प्रधानों को इंटरलॉकिंग और नाली के कार्यों से ऊपर उठकर सोचना होगा। खासतौर पर गरीब परिवारों के लिए कैटल शेड, महिलाओं के लिए सिलाई-कढ़ाई केंद्र शेड भी मनरेगा के तहत बनाए जा सकते हैं।
इसके अलावा जिन गरीब किसान की थोड़ी जमीन है और वह जमीन ऊबड़-खाबड़ है तो मनरेगा के तहत उस किसान की जमीन को समतल भी कराया जा सकता है। यानी व्यक्तिगत रूप से गरीबों की आय को बढ़ाने की कोशिश की जाए। खासतौर पर महिला समूहों को प्राथमिकता के आधार पर कार्य देने को भी कहा गया। कार्यशाला में मनरेगा के साथ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद थे।
दोनों विभागों के बीच सामंजस्य के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया। लखनऊ से मास्टर ट्रेनर धीरज और आदिल ने ट्रेनिंग दी। आयुक्त ग्राम विकास एनपी सिंह ने मनरेगा के धन के सदुपयोग पर जोर दिया। एनआरएलएम के अपर निदेशक टीके सीबू ने ब्लॉक स्तर जल्द कार्य कराने के प्रस्ताव बनाने को कहा। इसमें सीडीओ कौशांबी इंद्रसेन सिंह, डीसी मनरेगा प्रयागराज तेजभान सिंह, डीसी एनआरएलएम अजीत कुमार, एक जिला एक उत्पाद के संयुक्त सचिव गौरव श्रीवास्तव भी मौजूद रहे।
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