इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कर्मचारी नेता को दिया आठ साल का वेतन
कर्मचारी नेता संतोष सहाय का आठ वर्ष से वेतन रोकने के मामले इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन बैकफुट पर आ गया है। रुका हुआ वेतन दिया गया और निलंबन वापस लिया गया।
By Edited By: Published: Tue, 14 May 2019 04:58 PM (IST)Updated: Tue, 14 May 2019 04:59 PM (IST)
प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कर्मचारी नेता संतोष सहाय का आठ वर्ष से वेतन रोकने के मामले में इविवि प्रशासन बैकफुट पर आ गया है। कर्मचारी का निलंबन वापस करते हुए वेतन का 15 लाख 80 हजार 512 रुपये का भुगतान कर दिया है।
दरअसल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कर्मचारी नेता संतोष सहाय को पैन कार्ड न देने पर आठ वर्ष पहले वेतन रोक दिया गया था। इससे परेशान होकर संतोष की पत्नी उपमा सहाय ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा। पत्र में कहा था कि पति को वेतन न मिलने के कारण घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। कर्ज लेकर गुजर-बसर करनी पड़ रही है। आए दिन लोग ब्याज और रुपये के लिए घर आकर दबाव बनाते हैं। बच्चों को पढ़ाना भी मुश्किल हो गया। ऐसे में इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए।
इसके कुछ दिन बाद इविवि प्रशासन ने वेतन का 15 लाख 80 हजार 512 रुपये का भुगतान कर दिया। अब संतोष का कहना है कि केवल पैन कार्ड न देने पर आठ साल तक वेतन रोककर रखना अन्याय और नियम विरुद्ध है। जबकि, वह आयकर कटौती की सीमा में नहीं आते हैं। फिर भी इविवि प्रशासन ने करीब साढ़े सात लाख रुपये आयकर काट लिया। वह इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे।
इविवि के वित्त अधिकारी डॉ. सुनील कांत मिश्र का कहना है कि वेतन से जो कटौती की गई है नियमानुसार है। उनसे बैंक खाता नंबर और पैन मांगा गया है। जो अभी तक नहीं दिया गया। यह उपलब्ध कराने पर हर माह उनके खाते में समय से वेतन पहुंच सकेगा।
दरअसल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कर्मचारी नेता संतोष सहाय को पैन कार्ड न देने पर आठ वर्ष पहले वेतन रोक दिया गया था। इससे परेशान होकर संतोष की पत्नी उपमा सहाय ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा। पत्र में कहा था कि पति को वेतन न मिलने के कारण घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। कर्ज लेकर गुजर-बसर करनी पड़ रही है। आए दिन लोग ब्याज और रुपये के लिए घर आकर दबाव बनाते हैं। बच्चों को पढ़ाना भी मुश्किल हो गया। ऐसे में इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए।
इसके कुछ दिन बाद इविवि प्रशासन ने वेतन का 15 लाख 80 हजार 512 रुपये का भुगतान कर दिया। अब संतोष का कहना है कि केवल पैन कार्ड न देने पर आठ साल तक वेतन रोककर रखना अन्याय और नियम विरुद्ध है। जबकि, वह आयकर कटौती की सीमा में नहीं आते हैं। फिर भी इविवि प्रशासन ने करीब साढ़े सात लाख रुपये आयकर काट लिया। वह इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे।
इविवि के वित्त अधिकारी डॉ. सुनील कांत मिश्र का कहना है कि वेतन से जो कटौती की गई है नियमानुसार है। उनसे बैंक खाता नंबर और पैन मांगा गया है। जो अभी तक नहीं दिया गया। यह उपलब्ध कराने पर हर माह उनके खाते में समय से वेतन पहुंच सकेगा।
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