अक्षय तृतीया पर मिलता है 'अक्षय' पुण्य का लाभ
अक्षय तृतीया पर खरीदारी करना लाभकारी होता है। मान्यता है कि इस खरीदी गई सामाग्री का क्षय नहीं होता है।
प्रयागराज : बैसाख शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी अक्षय तृतीया हर किसी के लिए सुख-समृद्धि की सौगात लेकर आई है। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों की जुगलबंदी से दान-पुण्य एवं खरीदारी करने से साधक को 'अक्षय' पुण्य की प्राप्ति होगी।
स्वर्णाभूषणों की खरीदारी से जहां धन-धान्य में वृद्धि होगी
मान्यता है कि अक्षय तृतीया को खरीदी गई सामग्री का कभी क्षय नहीं होता। इसमें स्वर्णाभूषणों की खरीदारी से जहां धन-धान्य में वृद्धि होगी। वहीं यथा संभव दान करने से सुख-समृद्धि की कामना पूर्ण होगी। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन किए गए विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण जैसे संस्कार हर विघ्न-बाधा से मुक्त होते हैं।
बोले ज्योतिर्विद, आज दोपहर तक अक्षय तृतीया का रहेगा संयोग
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि तृतीया तिथि सोमवार की रात 3.23 बजे लग चुकी है जो मंगलवार की रात 2.20 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र मंगलवार की शाम 4.46 बजे तक रहेगा। इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र लगेगा। साथ ही धनु राशि में गुरु, शनि व केतु का संचरण होने से त्रिग्रहीय योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है जबकि मेघ राशि में सूर्य व बुध का संचरण होने से द्विग्रहीय योग बनने से अक्षय तृतीया का महत्व बढ़ गया है।
अक्षय तृतीया पर खरीदारी का बेहतर योग है : ज्योतिर्विद अविनाश
ज्योर्तिर्विद अविनाश राय बताते हैं कि अक्षय तृतीया पर खरीदारी का बेहतर योग है। बकौल अविनाश सूर्य के गर्भ में स्वर्ण मौजूद है, जो उसकी किरणों के जरिए प्राप्त होता है, उससे मानव को आत्मबल प्राप्त होता है। अक्षय तृतीया पर स्वर्ण को भौतिक रूप में खरीदकर संग्रह करने से आत्मबल के साथ सुख और समृद्धि भी मिलती है। अक्षय तृतीया पर बिना खास मुहूर्त देखे खरीदारी एवं विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार किया जा सकता है।
इसकी करें खरीदारी
ज्योतिर्विद आशुतोष वाष्र्णेय बताते हैं कि अक्षय तृतीया पर वैसे तो सोना खरीदना अधिक शुभ माना जाता है। इसके अलावा चादी, हीरे-जवाहरात, वाहन, जमीन, फ्लैट या कोई भी नई वस्तु खरीदना कल्याणकारी रहेगा।
दान का है विशेष महत्व
विश्व पुरोहित परिषद के अध्यक्ष डॉ. बिपिन पांडेय के अनुसार अक्षय तृतीया पर नई वस्तुओं की खरीदारी के साथ दान का विशेष महत्व है। इस दिन चावल, तिल, पानी का घड़ा, नमक, घी, फल (खरबूजे का अधिक महत्व), मिष्ठान, चप्पल-जूते, पंखे, खड़ाऊ, छाता, ककड़ी, चीनी, साग, इमली, सत्तू आदि का दान करना कल्याणकारी माना गया है। गरीब और असहायों को भोजन कराने से हर मनोकामना की पूर्ति होती है।
मनाएं परशुराम का प्राक्ट्योत्सव
डॉ. बिपिन पांडेय बताते हैं कि भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया पर युगादि तिथियों में गणना होती है। सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ और भगवान परशुराम का अवतरण इसी तिथि को हुआ। यही कारण है कि इस दिन जप, हवन, तर्पण, पिंडदान का फल भी अक्षय माना जाता है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप