Kumbh mela 2019 : गंगा में 108 डुबकी लगाकर 100 महिला बनीं संन्यासी, जूना अखाड़ा से जुड़ीं
100 महिला संन्यासी बनने के बाद जूना अखाड़े में सम्मिलित हुईं। इस दौरान 24 घंटे तक कठिन परीक्षा से उन्हें गुजरना पड़ा।
कुंभनगर : जूना अखाड़ा से 100 महिला संन्यासी जुड़ गईं। बुधवार की देर रात्रि तक चले संस्कार में महिलाओं ने अपना ङ्क्षपडदान करके नया जन्म लिया। 24 घंटे से निराहार रहकर सबने ओम नम: शिवाय का जप किया। फिर सिर का मुंडन कराया और रात्रि में गंगा में 108 डुबकी लगाई। अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि से दीक्षा ली और संन्यासी बन गईं।
जूना अखाड़ा ही महिलाओं को संन्यास की दीक्षा देता है
कुंभ में जूना अखाड़ा ही महिलाओं को संन्यास की दीक्षा देता है। महिलाओं को नागा संन्यासी नहीं बनाया जाता है। सुबह जूना अखाड़ा से महिला विंग की प्रमुख महंत आराधना गिरि के सानिध्य में सौ महिला साधु ओम नम: शिवाय का जप करती हुई कतारबद्ध होकर पांटून पुल चार के पास स्थित आचार्य गद्दी पर पहुंचीं। सबका यहां मुंडन हुआ। सबने डुबकी लगायी। पंडितों ने पूजन कराया। सबको कुल्हड़ एवं दंड दिया गया। फिर ङ्क्षपडदान की सामग्री दी गई। संन्यासी बनने से पहले सभी ने अपना और अपने पितरों का ङ्क्षपडदान करके नया जन्म पाया। इस प्रक्रिया के बाद सबने फिर गंगा में डुबकी लगाई। उन्हें नए वस्त्र दिए गए। देर शाम को सभी अगले संस्कार के लिए अखाड़े वापस लौटीं। देर रात्रि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने सबको मंत्र दिया।
24 घंटे तक कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है
महंत हरि गिरि ने बताया कि रात्रि में गंगा में 108 बार डुबकी लगाने के बाद महिला साधु संन्यासी बन गईं। बताया कि संन्यासी बनने से पहले यह साधु बनती हैं। इन्हें पंच दीक्षा दी जाती है। पांच महिला गुरु होती हैं। इसमें एक गुरु रुद्राक्ष, दूसरा कपड़ा, तीसरा विभूति, चौथा चोटी काटेगा और पांचवा लंगोटी देती हैं। इस प्रक्रिया के तीन वर्ष के बाद ही इन सबको संन्यासी बनाया जाता है। 24 घंटे तक इन्हें कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है।
दलित महिलाओं ने भी लिया संन्यास
जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरि ने बताया कि सभी जाति की महिलाओं ने संन्यास लिया। इसमें दलित, वाल्मीकि एवं रैदासी भी हैं। उन्होंने बताया कि जूना अखाड़े के दरवाजे सभी जातियों के लिए खुले हैं। यहां सभी को समाहित किया जाता है।