इस तरह के आराम से जा सकती है जान, रहिए सतर्क
बंद कार में एयरकंडीशनर या हीटर ऑन कर आराम फरमाना जानलेवा साबित हो सकता है। ट्रैफिक व लंबे सफर में अकसर ऐसा लोग करते हैं।
हाथरस (कमल वाष्र्णेय)। बंद कार में एयरकंडीशनर या हीटर ऑन कर आराम फरमाना जानलेवा साबित हो सकता है। ट्रैफिक व लंबे सफर में अकसर ऐसा लोग करते हैं। इससे न सिर्फ ड्राइविंग में ध्यान भटकता है, बल्कि सांस लेने में भी दिक्कत होती है। ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से चक्कर, उल्टी व यहां तक की बेहोशी भी छा जाती है। एक्सप्रेस-वे व हाईवे पर यह स्थिति घातक साबित हो सकती है।
ऑक्सीजन की कमी घातक
सर्दियों में गाड़ी में सफर करने व कहीं खड़े होकर इंतजार करने के दौरान लोग हीटर का प्रयोग करते हैं। काफी देर तक बंद कार में हीटर का प्रयोग करने से वातावरण से ऑक्सीजन समाप्त होने लगती है। इसके साथ ही ह्यूमिडिटी यानी नमी खत्म हो जाती है। यह स्थिति सांस रोगियों के लिए परेशानी खड़ी कर देती है।
सांस के रोगी को नहीं दी जाती ऐसी सलाह
जिला अस्पताल के नाक-कान-गला विशेषज्ञ डा. नवनीत अरोरा के अनुसार हीटर के प्रयोग से खुस्की की समस्या होती है तथा इससे गले व छाती का संक्रमण होने का खतरा रहता है। इसलिए सांस रोगी मरीजों को कार, रूम व अन्य किसी तरह के हीटर का प्रयोग न करने की सलाह दी जाती है।
कार में सोना है तो जागें
वरिष्ठ चिकित्सक डा. पीके श्रीवास्तव ने बताया कि हीटर के प्रयोग से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। मस्तिष्क में कार्बनडॉईऑक्साइड की मात्रा बढऩे से नींद आती है। व्यक्ति सोता भी रह सकता है। कार में यह स्थिति बच्चों व वृद्ध लोगों के लिए और भी खतरनाक होती है। इसलिए बच्चों को कार में अकेला कदापि न छोड़ें।
जानलेवा भी है एयर कंडीशनर
गर्मी में कार का एयर कंडीशनर तभी बंद होता है, जब कार बंद होती है। लोग लगातार एसी का प्रयोग करते हैं। लंबे सफर में चालक तो कार ड्राइव करता है, लेकिन पीछे बैठे लोग कई बार सो जाते हैं। कार में इंजन से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस बनती है, जो एसी के जरिए लोगों के बैठने के स्थान पर एकत्रित हो जाती है। इससे सांस लेने में परेशानी होती है। इस गैस के कारण दम घुटने की वजह से व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। इसलिए लगातार एसी के प्रयोग से बचना चाहिए।
इस तरह होता है नुकसान
-एसी चलाने के दौरान लोग शीशे पूरी तरह बंद रखते हैं। मनुष्य द्वारा कार्बनडाईऑक्साइड गैस छोड़ी जाती है, जो कार के अंदर ही रहती है। इंजन से निकली मोनोऑक्साइड गैस भी एसी के रास्ते कार में प्रवेश कर जाती है। ऑक्सीजन की कमी होती है। दोनों गैस फैफड़ों के जरिए मस्तिष्क तक पहुंचती है, जिसके घातक परिणाम होते हैं।
कार में सोए व्यक्ति को नहीं होता एहसास
-कार में सोए हुए व्यक्ति को ऑक्सीजन की कमी का अहसास नहीं होता और वह खतरनाक गैस अंदर लेता रहता है। ऐसे में वह सोता भी रह सकता है।
-शरीर में कार्बनडाईआक्साइड की मात्रा ज्यादा होने की वजह से सांस से जुड़ी बीमारियां हो जाती हैं। सांस रोगियों के लिए यह स्थिति और घातक होती है। दम घुटने से मौत भी हो जाती है।
-कॉर्बन मोनोऑक्साइड की गंध बहुल हल्की होती है। आम व्यक्ति इसे महसूस नहीं कर पाता है। इसके कारण रोजाना लोग अपनी गलती से अपनी जान जोखिम में डाल लेते हैं और उन्हें भनक तक नहीं लगती।
इन बातों का रखें ध्यान
-कार में एसी चला कर सोने से पहले शीशों को थोड़ा खोलकर रखें। इससे स्वच्छ हवा का प्रवेश होगा तथा हानिकारक गैस बाहर निकल जाएंगी।
-गाड़ी को ठंडा करने के लिए इंजन को अत्यधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे इंजन जल्दी गर्म होता है। आग लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए हर छह महीने पर एसी व इंजन की जांच जरूर कराएं।
-कई बार कार का एसी अच्छी तरह ठंडक नहीं करता या रुक-रुक कर चलता है तो ऐसे में तुरंत उसे बंद कर दें ताकि कोई हादसा न हो।
-मंजिल तक जल्दी पहुंचने के लिए लोग लगातर ड्राइव करते हैं। कार लगातार चलती है और ड्राइवर बदलते रहते हैं। नींद भी कार में पूरी करते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। किसी होटल या रेस्टहाउस में आराम करें। इससे गाड़ी को भी आराम मिलेगा।