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योगीजी... अलीगढ़ पुलिस सुनती नहीं, न्याय के लिए भटक रहे हैं लोग

योगी सरकार भले ही कानून व्यवस्था में सुधार पर जोर दे रही हो लेकिन इसका असर जिले में दिख नहीं रहा।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 09:20 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 04:06 PM (IST)
योगीजी... अलीगढ़ पुलिस सुनती नहीं, न्याय के लिए भटक रहे हैं लोग
योगीजी... अलीगढ़ पुलिस सुनती नहीं, न्याय के लिए भटक रहे हैं लोग

अलीगढ़ (जेएनएन)।  योगी सरकार भले ही कानून व्यवस्था में सुधार पर जोर दे रही हो लेकिन इसका असर जिले में दिख नहीं रहा। मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार अलीगढ़ आगमन पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने पुलिस अफसरों को कानून व्यवस्था को लेकर नसीहत दी थी। लेकिन यहां हालात उलट हैं। थाना स्तर पर शिकायतों का निस्तारण न होने पर फरियादी मायूस लौट जाते हैं। यही वजह है कि जिला मुख्यालय पर फरियादियों की भीड़ जुटी रहती है। पुलिस कप्तान के कार्यालय में रोजाना ही दर्जनों लोग न्याय की गुहार लगाने आते हैं। कहीं रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही तो किसी थाने में पीडि़त को डपट कर भगा दिया जाता है। शिकायतें ये भी हैं कि पुलिस संगीन मामलों को मामूली बनाने के लिए पीडि़त पर ही दबाव बनाती है। क्वार्सी क्षेत्र के पवन कुमार के सांसद कार्यालय में पहुंचकर आग लगाने की घटना ताजी है। यदि पुलिस ने उसे प्रताडि़त करने की बजाय उसकी शिकायत की जांच में लगती तो शायद वह जान देने को अमादा न होता। यह अकेला मामला नहीं है। जिलेभर में अनेक लोग पुलिस प्रताडऩा से परेशान हैं।

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दो परिवारों का पलायन, एक और ने जताई मजबूरी

जिले में एक परिवार पलायन कर गया, दूसरे ने पलायन की मजबूरी मकान पर ही लिख दी। यह मामला अतरौली के ग्यासपुर गांव का है। यहां के चंद्रपाल सिंह दबंगों की धमकी से खासे परेशान हैं। उन्हें झूठे मुकदमें में पुलिस लगातार परेशान कर रही है। मजबूर होकर चंद्रपाल ने परिजनों के साथ गांव को छोडऩे का फैसला कर लिया है और घर पर भी लिख दिया है कि वह परिवार सहित पलायन को मजबूर है। वहीं, हरदुआगंज के भीमगढ़ी गांव के ग्राम प्रधान यादवेंद्र सिंह से पड़ोसी गांव अलहादपुर के दबंग मनोज कुमार व उसके साथियों ने चौथ वसूली के दो लाख रुपयेे मांगे, न देने पर जान से मारने तक की धमकी दे दी। धमकी से डरे ग्राम प्रधान ने गांव से पलायन कर लिया। इतना ही नहीं अलीगढ़ में सिविल लाइंस क्षेत्र के जमालपुर की फायजा ने शौहर के तीन तलाक देने के बाद मारपीट करने व जान से मारने धमकी के बाद पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने कोई कार्रवाई न की तो उसने शहर ही छोड़ दिया।

इन्होंने भी की जान देने की कोशिश

पिछले साल एएमयू में बुल के रुप में तैनात आरिफ पत्नी व ससुरालियों के उत्पीडऩ से इस कदर तंग आ गया कि उसने कप्तान दफ्तर पर ही खुद के ऊपर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा ली। इसके अलावा विजयगढ़ के मजदूर शिवकुमार के साथ दबंगों ने इस कदर मारपीट की वह चलने फिरने तक को मोहताज हो गया। मजबूर होकर पत्नी व आठ साल के बच्चे के साथ पुलिस कप्तान के कार्यालय पर खुदकशी करने पहुंच गया।

कोर्ट में ले रहे शरण

पुलिस की इस कार्यशैली से त्रस्त लोगों का रुख अब कोर्ट की ओर होने लगा है। शिकायतों को दर्ज करने में जहां पुलिस आना-कानी करती है तो 156(3) में कोर्ट उन्हें आसानी से दर्ज कर लेती है। कोर्ट में रोजाना ही एक दर्जन से अधिक याचिकाएं दायर होती हैं।


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