सूदखोरों को खत्म करने की तैयारी में योगी सरकार Aligarh News
दशकों पहले छोटे कारोबारियों को बैंक से लोन लेने में परेशानी होती थी। ऐसे में राज्य सरकार ने यूपी साहूकारी विनियम कानून 1976 लागू कराया। इसके माध्यम से साहूकारों को छोटे कारोबारियों व जरूरतमंदों की मदद करने के लिए कानूनी संरक्षण देना था
अलीगढ़, जेएनएन। सूदखोरों के उत्पीड़न पर अब जल्द ही पूरी तरह से अंकुश लग जाएगा। यूपी सरकार इन्हें समाप्त करने की तैयारी में हैं। इसको लेकर शासन स्तर पर पूरा खाका तैयार हो गया है। पिछले दिनों इसको लेकर राजस्व परिषद द्वारा जिला स्तर से साहूकारी लाइसेंस की जरूरत के संबंध में एक रिपोर्ट मांगी थी। इसमें प्रशासन ने इसे खत्म करने पर सहमित दे दी है। इसी के चलते जिले में पिछले दो साल से उप्र सहकारी अधिनियम 1976 के तहत कोई भी नया लाइसेंस जारी नहीं हुआ है। नवीनीकरण भी रुके हुए हैं।
कर्जदार ब्याज देते-देते कर्ज नहीं चुका पाते
दशकों पहले छोटे कारोबारियों को बैंक से लोन लेने में परेशानी होती थी। ऐसे में राज्य सरकार ने यूपी साहूकारी विनियम कानून 1976 लागू कराया। इसके माध्यम से साहूकारों को छोटे कारोबारियों व जरूरतमंदों की मदद करने के लिए कानूनी संरक्षण देना था, लेकिन सूदखोरों ने इसका दुप्रयोग शुरू कर दिया। लोगों का उत्पीड़न करने लगे। लोगों को फंसाने लगे। ब्याज भी नियमों का खिलाफ लेते। कई बार तो कर्जदार ब्याज देते-देते कर्ज नहीं चुका पाते हैं। ऐसे में लोग मजबूरन आत्महत्या को मजबूर होते। पिछले कुछ सालों में प्रदेश में कई इस तरह के मामले सामने आया हैं। ऐसे में सरकार दो साल पहले से सरकार ने अधिनियम को खत्म करने की तैयारी कर दी है। पिछले साल इसको लेकर राजस्व विभाग ने सभी जिलों से इस व्यवस्था की जरूरत पर रिपोर्ट मांगी। जिला प्रशासन ने यहां से इस व्यवस्था को समाप्त करने की रिपोर्ट भेजी। इसमें रिपोर्ट में कहा गया है कि जब बैंकों में जीरो बैलेंस पर अकाउंट खुल रहा है तो साहूकारी व्यवस्था की कोई आवश्यकता नहीं है। अफसरों के मुताबिक इसके तहत जिले में करीब 100 सूदखोर पंजीकृत हैं। पिछले दो साल से इनके नवीनीकरण न करने के साथ ही नए लाइसेंस जारी किए जाने पर रोक लगा रखी है।
14 फीसद तक ब्याज लेते हैं साहूकार
अफसरों के मुताबिक साहूकारी के लिए प्रशासन से लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है। यह लाइसेंस एक साल के लिए मिलता है। हर साल इसका नवीनीकरण भी होता है। इसके तहत कोई वस्तु गिरवी रखकर कर्ज लिया जा सकता है। इसके लिए उसे 14 फीसद वार्षिक ब्याज देनी होती है।
जिले में पिछले दो साल से सूदखोरों के नए लाइसेंस व नवीनीकरण पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है। एक साल के लिए यह लाइसेंस जारी होता है। वहीं, पिछले साल शासन में भी इस संबंधित एक रिपोर्ट भेजी गई है। शासन स्तर से इसे खत्म करने की तैयारी चल रही है।
विधान जायसवाल, एडीएम वित्त एवं राजस्व