World Thyroid Day 2022: थायराइड और बच्चेदानी में रसौली से भी गर्भपात का खतरा
शिशु के जन्म होने तक गर्भवती ही नहीं पूरा परिवार चिंतित रहता है। महिलाओं को गर्भपात से जूझना पड़ जाता है। दैनिक जागरण के ‘हेलो डाक्टर’ कार्यक्रम में मसूदाबाद वंश हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर की स्त्री एवं प्रसूता रोग विशेषज्ञ डा. अंजली गुप्ता ने पाठकों को दी।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। शिशु के जन्म होने तक गर्भवती ही नहीं, पूरा परिवार चिंतित रहता है। फिर भी कुछ महिलाओं को बार-बार गर्भपात से जूझना पड़ जाता है। इसका एक कारण थायराइड तो है ही, बच्चेदानी या अंडाश्य में सिस्ट, रसौली और संक्रमण से भी गर्भपात हो जाता है। कई गर्भवतियों की एंटी फास्फोलिपिड एंटीबाडी टेस्टिंग की रिपोर्ट पाजिटिव पाई जाती है, इसमें खून के थक्के जम जाने से भ्रूण का विकास नहीं हो पाता। इसलिए गर्भधारण व उसके बाद नियमित रूप से जांच व उपचार बहुत जरूरी है। यह सलाह बुधवार को दैनिक जागरण के ‘हेलो डाक्टर’ कार्यक्रम में मसूदाबाद वंश हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर की स्त्री एवं प्रसूता रोग विशेषज्ञ डा. अंजली गुप्ता ने पाठकों को दी। पेश हैं कुछ चुनिंदा सवाल-जवाब...
मैं दो माह की गर्भवती हूं। वजन में वृद्धि, थकावट और मुंह पर सूजन आ गई है। क्या गर्भावस्था में यह सामान्य है? - सीमा, अलीगढ़।
ये लक्षण थायराइड के हैं। अपनी डाक्टर को समस्या बताकर जांच कराएं। शुरुआती 12 हफ्ते तक गर्भस्थ शिशु को मां के थायराइड से ही जरूरी हार्मोन मिलते हैं। मां में थायराइड की कमी होगी तो शिशु का विकास बाधित होगा। उसे खतरा हो सकता है। थायराइड आए तो उसे नियंत्रित करें।
छह माह की गर्भवती हूं। मेरे पैर व शरीर में सूजन आ गई है। सिर दर्द रहता है। कई बार सीने में भी दर्द होता है।
- शांति देवी, अकराबाद।
ब्लड प्रेशर की जांच करा लें, यह बढ़ा हुआ हो सकता है, जिसे हाइपर टेंशन भी कहते हैं। यूरिन में एलब्यूमिन (एक तरह का प्रोटीन) की जांच भी कराएं। गुर्दे में भी समस्या हो सकती है। संतुलित आहार लें। सब्जी या अन्य खाद्य पदार्थ में ऊपर से नमक न डालें और न ऐसी वस्तुएं खाएं। नारियल पानी लाभकारी रहेगा। बीपी को नियंत्रित रखें।
मेरा दो बार गर्भपात हो चुका है। बहुत परेशान हूं। - अंजू, अलीगढ़।
थायराइड व टार्च टेस्ट (संक्रमण की स्थिति जानने के लिए) कराएं। अल्ट्रासाउंड कराएं, बच्चेदानी या अंडाश्य में रसौली से भी गर्भपात हो जाता है। यदि आप गर्भावस्था में चाय-काफी अधिक लेती हैं तो कैफीन से बच्चे को खतरा रहता है। कई गर्भावती धूमपान, तबाकू व शराब का सेवन भी कर लेती हैं, जो गलत है। पैकेज्ड फूड खाने से बचें। घर पर बना संतुलित आहार लें।
पेशाब में जलन, रुकावट व दर्द के साथ रिसाव हो है। हल्का बुखार है। पैरों में दर्द, उल्टी व उबकाई की समस्या है - रजनी देवी, अतरौली।
गर्भावस्था में यूरीनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन (यूटीआइ) से यह समस्या हो जाती है। रोजाना 10 से 12 गिलास पानी पिएं। क्रैनबैरी जूस का सेवन करें। यूरिन की जांच भी करा लें। विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार एंटीबायोटिक व अन्य दवा ले सकती हैं।
सात माह की गर्भवती हूं। काफी थकान रहती है। शरीर में सूजन भी है। दिल की धड़कन अचानक बढ़ जाती है।- शालिनी वार्ष्णेय, जयगंज।
प्रत्येक 10 में से छह गर्भवतियों में यह समस्या होती है, जिसकी वजह एनीमिया (शरीर में खून की कमी) है। शुरू से ही फोलिक एसिड व आयरन सप्लीमेंट लेना जरूरी है। फोलिक एसिड की कमी से शिशु न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (कमर में फोड़, सिर आकार न बढ़ना आदि) से ग्रस्त हो जाता है। अब गोली के अलावा इंजेक्शन व इन्फ्युजन भी आ गए हैं, जिनसे खून तेजी से बढ़ता है। इन्हें लेने के बाद हर 15-20 दिन में जांच कराएं।
इन्होंने लिया परामर्श
मसूदाबाद से एसकी सिंह, लहरा सलेमपुरर से गिरीश, छर्रा से कार्तिक माहेश्वरी, अलीगढ़ से सुग्रीम, ज्ञान सरोवर से लोकेश कुमार, जयगंज से शीतल, आवास विकास से दीप्ति वर्मा, सुलेखा, प्रतिभा कालोनी से रंजना आदि।
गर्भावस्था का ऐसे रखें ख्याल
- गर्भधारण से पूर्व थायराइड, रूबेला व अन्य जांच कराएं।
- प्रथम तीन माह तक फोलिक एसिड व प्रोटीन युक्त आहार लें।
- हल्का व्यायाम जरूर करें।
- तीसरे व चौथे माह पर टेटनेस के टीके लगवाएं।
- आयरन व कैल्शियम युक्त आहार लें।
- फैटी एसिड लें, जो मेवों में मिलेगा।
- छह माह पर शुगर की जांच कराएं।
- तला-भुना न खाएं, सलाद व फल खाएं।
- तनाव व अवसाद से दूर रहें।
- भारी चीजें न उठाएं।
- नशीलें पदार्थों का सेवन न करें।
- ज्यादा गर्म पानी से न नहाएं।
- लंबी दूरी की यात्रा न करें।
- खुद से कोई दर्द निवारक या अन्य दवा न लें।
- कोई परेशानी होने पर अपनी डाक्टर से संपर्क करें।