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हे मौत! जरा ठहर...पहले लेने दे सात फेरे Aligarh News

यह बात सही है कि मौत बता कर नहीं आती। ये कभी भी दस्तक दे सकती है मगर इससे डर-डर कर भी तो नहीं जिया जा सकता। जरा उनके बारे में सोचिए जो एचआइवी पॉजिटिव हैं।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 04:03 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 09:15 AM (IST)
हे मौत! जरा ठहर...पहले लेने दे सात फेरे Aligarh News
हे मौत! जरा ठहर...पहले लेने दे सात फेरे Aligarh News

विनोद भारती, अलीगढ़। यह बात सही है कि मौत बता कर नहीं आती।  ये कभी भी दस्तक दे सकती है, मगर इससे डर-डर कर भी तो नहीं जिया जा सकता। जरा, उनके बारे में सोचिए जो एचआइवी पॉजिटिव हैं। उनकी भी  हसरतें हैं। जिंदगी की टूटती डोर को थामने के लिए ऐसे युवा जोड़े सात-फेरे ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसाइटी के काउंसलरों के प्रयास से ऐसे 35 जोड़ों की शादियां हो चुकी हैं। 55 अन्य युवकों ने भी शादी की इच्छा जताई है।

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मौत से जंग, जीवनसाथी के संग

एचआइवी पॉजिटिव या एड्स रोगी मौत से जंग अकेले नहीं, बल्कि जीवनसाथी के साथ मिलकर लडऩा चाहते हैं। हीनभावना, अपराधबोध व निराशा के भंवर में फंसे युवाओं का नजरिया तेजी से बदल रहा है। वे जाति-धर्म की बेडिय़ां तोडऩे को भी तैयार हैं। कुंडलियां भी नहीं देखी जा रहीं।

 काउंसलर दिखा रहे नई राह

 जिंदगी सम्मान से व्यतीत करने के लिए उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसाइटी के काउंसलर भी ऐसे युवाओं को नई राह दिखा रहे हैं। जिला अस्पताल स्थित आइसीटीसी (स्वैच्छिक व एकीकृत परामर्श केंद्र) की सीनियर काउंसलर जावित्री देवी के अथक प्रयास से अब तक 35 जोड़े वैवाहिक बंधन में बंध चुके हैं। उनके आंगन में किलकारियां भी गूंज रही हैं।

बेटे के लिए पिता की गुहार

शुक्रवार को शहर के ही एक बुजुर्ग आइसीटीसी पर पहुंचे। काउंसलर को बताया कि मेरा एचआइवी पॉजिटिव बेटा शादी के लिए जिद कर रहा है। मुझे कोई सलाह दीजिए। काउंसलर ने कहा कि शादी के लिए एचआइवी पॉजिटिव लड़की चाहिए तो विवरण दे दीजिए, लड़की मिलते ही सूचित कर देंगे।

लड़कियां न मिलने से मायूसी

जावित्री देवी बताती हैं कि एचआइवी पॉजिटिव 35 युवक-युवतियों की शादी कराई जा चुकी है। 55 अन्य युवकों ने लड़कियां ढूंढऩे के लिए केंद्र पर अपनी उम्र, शिक्षा, आमदनी आदि का विवरण दर्ज कराया है। मगर, जिले में एचआइवी पॉजिटिव लड़कियां नहीं मिल रहीं या वे खुद को तैयार नहीं कर पा रहीं।

आंगन में गूंज रही किलकारियां

एचआइवी पॉजिटिव युवक-युवतियां शादी ही नहीं कर रहे, बल्कि उनके घर-आंगन में स्वस्थ बच्चों की किलकारियां भी गूंज रही हैं। ऐसे शिशुओं को प्रीवेंशन ऑफ पेरेंट टू चाइल्ड ट्रांसमिशन (पीपीटीसीटी) प्रोग्र्राम के तहत  एचआइवी के संक्रमण से बचाया जाता है। इसमें पैदा होते ही शिशु को नेव्रापिन नामक टेबलेट खिलाई जाती है। रक्त का नमूना जांच के लिए दिल्ली भेजा जाता है। डेढ़ माह पर दूसरी जांच होती है। 18 माह तक बच्चे पर नजर रखी जाती है। मदद के लिए महिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में पीपीसीटी सेंटर हैं। यहां 200 से ज्यादा बच्चों को एड्स के चक्रव्यूह से बाहर निकाला जा चुका है।


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