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हैदराबाद में सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या से महिलाओं में गुस्सा: आखिर कब तक झकझोरती रहेंगी क्रूर घटनाएं Aligarh News

एक महिला जिसका कोई कसूर नहीं था। दङ्क्षरदों ने पलभर में उसकी हंसती-खेलती जिंदगी खत्म कर दी। वो रात में खुद को सुरक्षित समझकर अकेले घर लौट रही थी क्या यही उसका कसूर था?

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 12:56 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 12:56 PM (IST)
हैदराबाद में सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या से महिलाओं में गुस्सा: आखिर कब तक झकझोरती रहेंगी क्रूर घटनाएं Aligarh News
हैदराबाद में सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या से महिलाओं में गुस्सा: आखिर कब तक झकझोरती रहेंगी क्रूर घटनाएं Aligarh News

अलीगढ़ (जेएनएन) : एक महिला, जिसका कोई कसूर नहीं था। दङ्क्षरदों ने पलभर में उसकी हंसती-खेलती जिंदगी खत्म कर दी। वो रात में खुद को 'सुरक्षित समझकर ' अकेले घर लौट रही थी, क्या यही उसका कसूर था? आखिर निर्भया, हमीरपुर, हैदराबाद जैसी क्रूर घटनाएं कब तक समाज को झकझोरती रहेंगी? बार-बार ये सवाल कौंधता रहेगा, लेकिन सरकारें मौन रहेंगी। दावे, कानून, योजनाएं कई हैं और आगे भी बनती रहेंगी, लेकिन हकीकत सिर्फ एक ही कि महिलाएं खौफजदा और असुरक्षित हैं।

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घर से निकलने में डर रहीं युवतियां

हैदराबाद की महिला पशु चिकित्सक की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या ने महिलाओं को स्तब्ध कर दिया है। शहर की महिलाएं व युवतियां घर से बाहर निकलने में डर रही हैं। उनका कहना है कि अपराधों को रोकने में पुलिस नाकाम है, इसलिए अब उन्हें ही कदम आगे बढ़ाने होंगे। घबराने से कुछ नहीं होगा, अपनी सुरक्षा अपने आप ही करनी होगी। स्वर्ण जयंती निवासी मंजू अग्रवाल ने कहा कि पुलिस हादसे के बाद ही हाथ-पैर मारती है। अगर यही कदम हादसे से पहले उठाए जाएं तो शायद रोका जा सकता है। ताइक्वांडो एक्सपर्ट और ब्लैक बेल्ट धारक जूली वाष्र्णेय ने बताया कि बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने के लिए वे चार साल से लड़कियों को मार्शल आर्ट व जूडो का प्रशिक्षण दे रही हैं। उनका मानना है कि लड़कियां सुरक्षित हों, इसके लिए जरूरी है कि वे खुद सजग रहें।

खत्म हो रहा है सजा का भय

डीपीएस की शिक्षिका नीतू सिंह का कहना है कि हमने समाज को कितना असुरक्षित होने की छूट दी है। दुष्कर्म और फिर हत्या के मामलों में न्याय में देर होने के कारण ही गुनहगारों में सजा का भय खत्म होता जा रहा है। ऐसे मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाकर तुरंत सजा होनी चाहिए।

बढ़ रहीं हैं घटनाएं

समाजसेवी रेनू मित्तल का कहना है कि टप्पल कांड हो या निर्भया कांड, अपराधियों को सजा मिलने में बहुत लंबा समय लग जाता हैं। इन बढ़ते अपराधों के कारण हमें भी देर रात अकेले कहीं आने-जाने में डर लगता हैं। कभी चेन स्नेचिंग तो कभी लूट की संख्या हर दिन बढ़ रही हैं।

लड़कियों को खुद सशक्त होना होगा

स्वर्ण जयंती नगर की श्रुति दीक्षित का कहना है कि लड़कियों की सुरक्षा आज भी सरकार व पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं हैं। पुलिस भी महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को रोकने में सक्षम नहीं है। इसके लिए लड़कियों को खुद ही सशक्त होना होगा। किसी पर भी भरोसा न करें और हमेशा अपने साथ सेफ्टी उपकरण रखें।

समाज सुधरे तो होगा बदलाव

विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव तूलिका बंधु का कहना है कि जब तक समाज व लोगों की सोच नहीं बदलेगी, तब तक महिलाओं के साथ घटनाएं होती रहेंगी। पुलिस प्रशासन अपना काम करता है, लेकिन ऐसा घिनौना कृत्य करने वाले कुछ लोगों की वजह से सामाजिक पतन होता है।

सख्त कानून से लगेगी लगाम

एडीजीसी अमर सिंह तोमर का कहना है कि अभी निर्भया कांड के घाव भरे नहीं थे कि हैदराबाद में महिला डॉक्टर की हत्या ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। सख्त कानून ही ऐसे लोगों पर लगाम लगा सकता है।

घटना ने किया शर्मशार

अलीगढ़ बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव मंगेश कुमार का कहना है कि देश में रोजाना महिलाओं के साथ घटनाएं हो रही हैं। निर्भया के बाद हैदराबाद कांड ने शर्मसार कर दिया है। सरकार को महिला सुरक्षा के लिए गंभीरता से कदम उठाने होंगे।

हर रोज दो से ज्यादा महिलाओं के साथ हो रहे संगीन अपराध!

 सरकार भले ही अपराध नियंत्रण व महिला सुरक्षा के दावे करे, लेकिन महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। अलीगढ़ में पिछले तीन साल में दर्ज महिलाओं के साथ हुए आपराधिक मामलों को देखें तो सबसे आगे 2019 है। 2017 में दुष्कर्म, हत्या, दुष्कर्म के प्रयास, अपहरण, छेड़छाड़ के 795 केस आए थे, जो 2018 में घटकर 754 हो गए। 2019 अभी खत्म नहीं हुआ और आंकड़ा 801 हो गया। इससे साफ है कि अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।

तीन साल के आंकड़े

वर्ष, हत्या, दुष्कर्म, दुष्कर्म का प्रयास, अपहरण, छेड़छाड़

2017, 27, 95, 278, 377, 18

2018, 26, 75, 273, 369, 11

2019, 38, 50, 409, 294, 10

17 महिलाओं ने की खुदकशी

घरेलू हिंसा का ग्र्राफ भी बढ़ रहा है। इस साल अब तक 17 महिलाएं खुदकशी कर चुकी हैं। 2017 में 12 व 2018 में नौ मामले सामने आए थे। कुछ ने घरेलू ङ्क्षहसा तो कुछ ने शोहदों से परेशान होकर आत्मघाती कदम उठाया।

बढ़े घरेलू हिंसा के मामले

दहेज उत्पीडऩ के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। 2017 में 328, 2018 में 344 तो इस साल 562 केस दहेज उत्पीडऩ के दर्ज हो चुके हैं। 2017 में दहेज हत्या के 55, 2018 में 49 और 2019 में 54 केस आ चुके हैं।


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